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1.

What is the full form of CACP (सीएसीपी) ?

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CACP (सीएसीपी) का फुल फॉर्म या मतलब Commission for Agricultural costs and prices (कमीशन फॉर एग्रीकल्चरल कॉस्ट एंड प्राइसेज) होता है

2.

What is the full form of FCI (एफसीआई) ?

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FCI (एफसीआई) का फुल फॉर्म या मतलब Food Corporation of India (फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) होता है

एफसीआई का फुल फॉर्म हिंदी में भारतीय खाद्य निगम होता है

भारत सरकार द्वारा चलाए जाने वाले फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की स्थापना भारत सरकार ने 236780">1 जनवरी 236780">1965 को फूड कॉरपोरेशन एक्ट के तहत किया था

लगभग 236780">100 करोड़ की पूंजी से एफसीआई की शुरुआत हुई थी और आज भी इसका पूरा स्वामित्व भारत सरकार के पास ही है

एफसीआई का हेड क्वार्टर न्यू दिल्ली में है और लगभग हर राज्य के राजधानी में इसका रीजनल ऑफिस है, और यहां तक कि बहुत सारे महत्वपूर्ण जिला में भी एफसीआई ने अपना सेंटर खोल रखा है

एफसीआई का मुख्य काम समय पर फसलों की खरीद कर भंडारण, विक्रय और स्मूथ डिस्ट्रीब्यूशन को सुनिश्चित करना है

एफसीआई के द्वारा बहुत बड़ी मात्रा में अनाज खरीद किए जाने के कारण किसानों को एमएसपी यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस मिलने में मदद मिलती है

एफसीआई द्वारा हर साल सबसे ज्यादा गेहूं और धान की खरीद की जाती है

आज देश में अधिकतर अनाजों का दाम सालों भर लगभग एक समान बना रहता है उसके पीछे एफसीआई के द्वारा उठाए जा रहे हैं कई महत्वपूर्ण कदमों का योगदान है

जैसे जब गेहूं की फसल तैयार होती है तो एफसीआई यह कैलकुलेट करता है कि साल भर में पूरे देश के लिए कितने गेहूं की जरूरत है, उसके अनुसार फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया अपना स्टॉक तैयार करता है, और आयात या निर्यात का सुझाव सरकार को देता है

खाद्य पदार्थों को बफर स्टॉक तैयार करना, मूल्य स्थिरता के लिए बाजार में हस्तक्षेप करना भी FCI का प्रमुख काम है

FCI (एफसीआई) के उद्देश्य

पूरे भारत में अनाज की उपलब्धता बराबर बनी रहे यह एफसीआई के द्वारा उठाए जाने वाले कई महत्वपूर्ण कदमों पर डिपेंड करता है, एफसीआई के मुख्य उद्देश निम्न है-

  • मूल्य स्थिरीकरण के लिए बाजार हस्तक्षेप
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए पूरे देश में खाद्यान्न की आवाजाही
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए खाद्यान्न के परिचालन और बफर स्टॉक का संतोषजनक स्तर बनाए रखना
  • किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रभावी मूल्य समर्थन अभियान

एफसीआई में नौकरियां

FCI (एफसीआई) में काम करने वाले कुल एंप्लॉय की संख्या 21000 से ज्यादा है, और हर साल एफसीआई के कई महत्वपूर्ण पोस्ट के लिए वैकेंसी आती है, जिसके लिए युवा अप्लाई कर नौकरी प्राप्त कर सकते हैं

कुछ महत्वपूर्ण पोस्ट जिसके लिए एफसीआई में हाल में ही ओपनिंग थी-

  • Junior Engineer
  • Engineer
  • Assistant Grade 2
  • Computer Operator

एफसीआई के बारे में कुछ इंटरेस्टिंग बातें

  • आज एफसीआई के पास सभी अनाजों को मिलाकर 800000 मेट्रिक टन से ज्यादा स्टोरेज की कैपेसिटी है
  • भारत सरकार की गरीब लोगों के लिए चलाई जाने वाली एक बहुत ही बड़ी महत्वकांक्षी योजना, फूड सिक्योरिटी को सफल बनाने में एफसीआई का बहुत बड़ा योगदान है
3.

What is the full form of MSP (एमएसपी) ?

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MSP (एमएसपी) का फुल फॉर्म या मतलब Minimum Support Price (मिनिमम सपोर्ट प्राइस) होता है

एमएसपी का फुल फॉर्म हिंदी में न्यूनतम समर्थन मूल्य होता है

न्यूनतम समर्थन मूल्य वह मूल्य होता है जिससे नीचे किसान की फसल मंडी में नहीं खरीदी जा सकती है

एमएसपी किसानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी हाल में किसान को उसके फसल का उसके लागत मूल्य से कुछ ज्यादा दाम जरूर मिल जाएगा

भारत सरकार की एजेंसी कमिशन फॉर एग्रीकल्चरल कॉस्ट एंड प्राइसेज यानी CACP हर साल किसी भी फसल को बोये जाने से पहले, उस फसल का एक न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करती है ताकि किसानों को उनके फसल का सही दाम मिल सके

सीएसीपी की सिफारिश पर भारत सरकार फसलों का एमएसपी तय करती है

अभी फिलहाल 26 फसलों पर एमएसपी लागू है जिनमें अनाज दलहन तिलहन आदि शामिल है

एक उदाहरण के साथ MSP को समझने के लिए, सरकार ने 2021 गेहूं की फसल के लिए प्रति क्विंटल with 2000 का एमएसपी तय किया है, तो एमएसपी कानून कहता है कि कोई भी सरकारी मंडी किसान से गेहूं की खरीद ₹ 2000 प्रति क्विंटल से नीचे नहीं कर सकती है।

जिन किसानों को एमएसपी का फायदा मिल पाता है, आज उनकी आर्थिक स्थिति काफी सुधर गई है, लेकिन दुख की बात यह है कि आज भी हमारे देश के बहुत कम ही ऐसे किसान हैं जिनको एमएसपी का पूरा लाभ मिल पाता है

सरकार एमएसपी निर्धारित करने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करती है कि किसानों की फसल एमएसपी पर खरीदी जा सके, इसके लिए भारत सरकार की संस्था एफसीआई नें जिला और ब्लॉक स्तर पर बहुत सारा गोदाम बना रखा है

फिर सरकार इस अनाज को अपनी जरूरत के हिसाब से या तो बाजार में बेच देती है, या गरीब लोगों के लिए चलाए जा रहे फूड सिक्योरिटी योजना के तहत लोगों को सस्ते दामों पर मुहैया करवा देती हैं

एमएसपी कैसे तैयार किया जाता है?

एमएसपी तैयार करते वक्त फसल और किसानों से जुड़ी बहुत सारी बातों का ध्यान रखा जाता है

उनमें से कुछ प्रमुख पॉइंट निम्न है-

  • शारीरिक श्रम
  • पशु श्रम या मशीन श्रम
  • जमीन का राजस्व
  • स्थाई पूंजी पर ब्याज
  • अन्य कीमतें

एमएसपी तैयार करने में किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?

जब सरकारी एजेंसियां MSP तैयार करती हैं तो उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है
सबसे बड़ी समस्या आती है कि हमारा देश बहुत बड़ा है और अलग अलग राज्य के मिट्टी की गुणवत्ता अलग-अलग है, साथ में हर राज्य में जलवायु की भी विविधता है

कुछ अन्य समस्याएं जैसे कि लागत में विविधता, पानी की सुविधा में विविधता, श्रम करने की विविधता और कुछ अन्य समस्याओं का भी एमएसपी तैयार करते वक्त सामना करना पड़ता है

एमएसपी का फायदा

  • एमएसपी का सबसे बड़ा फायदा यह होता है, कि यह किसानों को गारंटी देता है कि उसके फसल की एक सही कीमत उसे जरूर मिल जाएगी
  • एमएसपी का एक और फायदा यह होता है कि हर साल तय किया जाता है और तय करते वक्त कृषि से जुडी बहुत सारी बातों का ध्यान रखा जाता है
  • एमएसपी के कारण जब किसान अपनी फसल को किसी सरकारी मंडी में बेच पाता है तो फसल का पूरा पैसा सीधे उसके बैंक अकाउंट में पहुंच जाता है इससे किसान बिचौलियों और अन्य तरह के करप्शन से बच पाता है

एमएसपी के कुछ रोचक तथ्य

  • साल 66-bharatatal-khallpaka-281954">1966- 67-331473">67 में गेहूं पर पहली बार एमएसपी यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस निर्धारित किया गया और उसके बाद धीरे-धीरे अन्य फसलों को भी इसमें शामिल किया गया
  • एमएसपी का बहुत ही प्रसिद्ध कानून होने के बावजूद भारत के केवल 6% किसानों को ही एमएसपी पर फसल बेचने का मौका मिल पाता है, उसमें से भी 90% किसान पंजाब और हरियाणा के होते हैं
4.

What is the full form of APMC (एपीएमसी) ?

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APMC (एपीएमसी) का फुल फॉर्म या मतलब Agricultural Produce Market Committee (एग्रीकल्चरल प्रोडूस मार्केट कमेटी) होता है, जो कि एक मध्यस्थ समुदाय, Middle men आदि द्वारा शामिल किसानों के शोषण की घटनाओं को दूर करने के लिए एक भारतीय विपणन बोर्ड है।

जिसे हिंदी में कृषि उपज मंडी समिति भी कहते हैं।

ये बिचौलिए किसानों को अपनी उपज बेचने और बहुत कम कीमत पर उपज बेचने के लिए मजबूर करते हैं। ये किसानो के साथ अन्याय के समान है ।

Agricultural market produce committee का गठन राज्य सरकारों द्वारा किया गया था।

APMC किसानों के लिए कुछ नियमों के तहत उचित मूल्य पर अपनी उपज बेचने के लिए विशेष बाजार हैं।

ये APMC बाजार सभी उत्पादित खाद्य पदार्थों को बाजार में लाना सुनिश्चित करते हैं, ताकि उनकी बिक्री को निष्पक्ष रूप से नीलामी के माध्यम से किया जा सके।

एपीएमसी में सरकार विभिन्न कानूनों के द्वारा यह सुनिश्चित करती है कि किसान का फसल एमएसपी के नीचे ना बेचा जा सके।
मंडी में किसान के फसल की बोली लगाई जाती है, जो मिनिमम सपोर्ट प्राइस से ऊपर का ही कोई बोली हो सकता है।

और अगर कभी ऐसा होता है कि कोई भी व्यापारी किसान की फसल का एमएसपी से ऊपर दाम नहीं लगाता है तो एपीएमसी ही किसान की फसल एमएसपी पर खरीद लेती है।

Agricultural market produce committee के बाजार को मंडी कहा जाता है। APMC के लिए ये मंडियाँ या बाज़ार स्थान एक विशेष राज्य के विभिन्न स्थानों में स्थापित किए गए हैं इसलिए ये बाज़ार भौगोलिक रूप से भी राज्य को विभाजित करते हैं।

यहां इन मंडियों में व्यापारी किसानों से उत्पादन लेते हैं, अगर उनके पास इसके लिए लाइसेंस है। दूसरी ओर रिटेल मालिकों, थोक व्यापारियों या मॉल मालिकों को APMC के इन बाजारों में सीधे किसानों से उपज खरीदने की मनाही है।

APMC के बारे में

APMC या कृषि बाजार समितियां राज्य सरकार के तहत संचालित होती हैं, क्योंकि कृषि विपणन खंड भारतीय संविधान के राज्य विषय के अंतर्गत आता है।

APMC बाजार क्षेत्र में उन बाजारों या मंडियों का संचालन करता है जहां अधिसूचित कृषि उत्पादन बेचा जाता है।

APMC शुरू करने के पीछे मुख्य कारण बिचौलियों द्वारा दबाव में गरीब किसानों द्वारा बिक्री को रोकना था।

Agricultural market produce committee कृषि व्यापार प्रथाओं को विनियमित करने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है।

Agricultural market produce committee ने किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए नियम और उचित मूल्य और समय पर भुगतान निर्धारित किया।

APMC फुल फॉर्म FAQs

APMC के लाभ क्या हैं?

APMC कृषि व्यापार नियमों को नियंत्रित करता है जिसके परिणामस्वरूप ये लाभ हुए हैं –

  • APMC ने बाजार शुल्क घटाकर बाजार की दक्षता में सुधार किया
  • APMC ने बेकार बिचौलियों को खत्म कर दिया है
  • APMC ने यह सुनिश्चित किया कि विक्रेता और निर्माता के हित को निष्पक्ष रूप से संरक्षित किया जाएगा

APMC क्या है और यह कैसे काम करता है?

Agricultural market produce committee राज्य सरकारों द्वारा विपणन बोर्ड हैं। ये APMC किसानों और व्यापारियों को कृषि उत्पाद बेचने और खरीदने के लिए उचित प्रथाओं का पालन करने के लिए बाजारों को विनियमित करते हैं।

भारत में APMC की शुरुआत किसने की?

भारत सरकार ने भारत में APMC मॉडल की शुरुआत की। भारत की कृषि मंडियों में सुधार लाने के लिए भारत सरकार ने 2003 में Agricultural market produce committee अधिनियम बनाया। APMC अधिनियम के तहत ये मुख्य प्रावधान थे –

  • APMC बाजारों के अलावा अन्य नए बाजार चैनलों का निर्माण
  • थोक बाजारों का गठन

APMC की भूमिका क्या है?

APMC की मुख्य भूमिका यह थी कि उसने कृषि उपज की खरीद और बिक्री को निर्दिष्ट बाजार क्षेत्र में लाने के लिए बाध्य किया।

APMC यह सुनिश्चित करता है कि उत्पादकों और व्यापारियों को अपेक्षित बाजार शुल्क, लेवी, एजेंटों के कमीशन और उपयोगकर्ता शुल्क का भुगतान करना होगा।

APMC क्यों खराब है?

APMC को खराब बाजार प्रबंधन के बुनियादी ढांचे के लिए बुरा माना जाता है।

APMC के कारण किसानों के पास बिचौलियों की मदद लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।

बाजार का बुनियादी ढांचा खराब था इसलिए किसानों को इन APMC बाजारों या मंडियों के बाहर अधिक बेचना पड़ा।

इन प्रथाओं का परिणाम केंद्र पर भारी बोझ और घरेलू उत्पादन के लिए लॉजिस्टिक कॉस में वृद्धि के साथ-साथ व्यापार प्रतिस्पर्धा को कम करता है।

APMC कौन चलाता है?

APMC भारत के प्रत्येक राज्य की राज्य सरकार द्वारा चलाया जाता है क्योंकि कृषि बाजार राज्य के अधीन आता है।

भारत में कितने APMC हैं?

भारत में लगभग 2477 कृषि बाजार उपज समिति बाजार हैं। APMC अधिनियम के तहत ये बाजार भूगोल पर आधारित हैं। APMC के तहत बाज़ार के अलावा लगभग 4843 उप-बाज़ार यार्ड भी हैं जो भारत में उनकी संबंधित Agricultural market produce committee द्वारा संचालित हैं।

APMC बाजार शुल्क क्या है?

कृषि बाजार उपज समिति के बाजारों के लिए वर्तमान बाजार शुल्क .35% है लेकिन व्यापारी अभी भी इसे 20% तक कम करना चाहते हैं।

इसी तरह की फुल फॉर्म

एमएसपी फुल फॉर्म

एफसीआई फुल फॉर्म

5.

What is the full form of PDS (पीडीएस) ?

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PDS (पीडीएस) का फुल फॉर्म या मतलब Public Distribution System (पब्लिक डिसटीब्यूशन सिस्टम) होता है