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What is the full form of ABG(एबीजी) ? |
Answer» ABG (एबीजी) का मतलब होता है, Arterial blood gas(आर्टेरिअल ब्लड गैस)। ABG (एबीजी) एक ऐसी परीक्षण की प्रक्रिया होती है, जो हमारे शरीर के रक्त की अम्लता या पीएच और ऑक्सीजन के स्तर को मापता है। वहीं इसके अलावा यह भी जानना ज़रूरी है, कि एबीजी परीक्षण रोगी के फेफड़ों के कार्य की जांच का परीक्षण करने के लिए किया जाता है। एबीजी लेवल की जांच करना हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है, जिसकी सहायता से आपके फेफड़े कितनी अच्छी तरीके से ऑक्सीजन ग्रहण कर पा रहे हैं यह पता लगता है। साथ में रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा की जांच करने से शरीर के मेटाबॉलिज्म के बारे में भी पता चलता है। आपको बता दें कि इस टेस्ट के माध्यम से हमारे रक्त में हाइड्रोजन, आयन की मात्रा की भी जांच की जाती है, जिसके आधार पर जीरो से कम पीएच को अम्लीय कहा जाता है, और 7.0 से अधिक पीएच को मूल्य क्षारीय कहा जाता है। एक धमनी रक्त गैस विशेष रूप से एक धमनी के लिए किए गए रक्त का परीक्षण करता है, जिसमें बहुत ही आसानी से ऑक्सीजन, CO2 कार्बन डाइऑक्साइड और वेंटिलेशन स्थिति के बारे में पता चलता है। यदि आपके रक्त में ऑक्सीजन और कार्बन डाई ऑक्साइड के स्तर में असंतुलन होता है तो इसका मतलब है कि आप के फेफड़े की कार्य क्षमता कमजोर हो गई है और वह सही तरह से काम नहीं कर पा रहा है। जो कोई भी सांस लेने में संघर्ष कर रहा है या जिसके पास फेफड़े से संबंधित समस्या है, उन्हें इस परीक्षण से गुजरना होता है।
ABG (एबीजी) टेस्ट का नोर्मल रेंज क्या होता है?Arterial blood gas कि अगर सामान रेंज की बात करें तो यहां ऑक्सीजन का आंशिक दबाव(pao2)- 75 से 100 mmhg होता है। वहीं दूसरी ओर कार्बन डाइऑक्साइड (paco2)की बात की जाए तो इसका आंशिक दबाव 38 से 42 mmhg होता है। पीएच 7.42, बाइकार्बोनेट(Hco3), ऑक्सीजन संतृप्ति (o2sat) 94-100%। यदि कोई भी डॉक्टर इस रेंज को हासिल करना चाहता है, तो एक सुपर गेस चलाया जा सकता है। इसकी पहचान करने का एक सबसे आसान तरीका है कि यदि किसी मरीज का पीएच 7.45 से कम है तो रोगी को क्षारीय माना जाता है। वही पीएच 7.35 से ज्यादा है तो फिर वह रोगी अम्लीय है, जिसके बाद रोगी की paco2 की जांच की जाती है, जिससे आसानी से पता चल जाता है कि रक्त गैस में परिवर्तन श्वसन प्रणाली या चयापचय द्वारा संचालित होने के कारण है। रोगी के शरीर में यदि CO2 कम है, और पीएच अधिक है तो फिर रोगी को श्वसन क्षार रोग होगा। यह दोनों ही विपरीत दिशा में काम करते हैं। वहीं यदि hco3 कम है और पीएच का स्तर भी कम है, तो फिर मरीज मेटाबॉलिक एसिडोसिस में है जहां दोनों ही एक दिशा में चलते हैं। ABG टेस्ट क्यों किया जाता है?एक तरह से हम यह कह सकते हैं कि हमारे शरीर में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर का सटीक माप करने के लिए इसे किया जाता है। जहां आप चिकित्सा सलाह की मदद से आसानी से निर्धारित कर सकते हैं कि आपके फेफड़े और गुर्दे कितनी अच्छी तरह से कार्य कर रहे हैं। देखा जाए तो प्राथमिक देखभाल सेटिंग में इसकी कोई खास महत्वपूर्ण भूमिका नहीं है, लेकिन इसका उपयोग प्रयोगशाला या क्लीनिक में किया जा सकता है। यह टेस्ट करवाने की स्थिति नजर आने पर आपके शरीर में कुछ विशेष लक्षण नजर आते हैं,जिस वजह से आपको यह टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। आप सांस लेने में तकलीफ, उलझन, जी मचलना या सांस की कमी से परेशान हो सकते हैं जो संकेत यह दर्शाता है कि आपको एबीजी(arterial blood gas) टेस्ट कराना चाहिए। जब भी ऑक्सीजन CO2 या पीएच के स्तर की जानकारी लेना हो, या यह जानना हो कि यह हमारे शरीर में संतुलित है या नहीं फिर आप एबीजी(arterial blood gas)टेस्ट करवा सकते हैं। वही आपको एक जरूरी बात पता होनी चाहिए कि श्वसन संबंधी समस्याओं का पता लगाने और साथ ही साथ मेटाबॉलिक और किडनी के विकार की सही तरह से जांच के लिए इस टेस्ट को किया जाता है। हमारे खून में एसिड का स्तर क्या है, और जिस तरह की फेफड़ों का इलाज चल रहा है उसमें इसका किस तरह का प्रभाव नजर आ रहा है जैसे कि जिस व्यक्ति को ऑक्सीजन दी जा रही है उसमें यह किस तरह का प्रभाव कर रहा है यह सभी कारकों का पता लगाने के लिए (arterial blood gas) टेस्ट किया जाता है। एक महत्वपूर्ण बात अवश्य जान ले कि यदि किसी भी व्यक्ति को ऑक्सीजन थेरेपी प्रदान की जा रही है तो लगभग 10 से 20 मिनट पहले इसे रोक दी जानी चाहिये। यदि कोई व्यक्ति बिना ऑक्सीजन पाइप की मदद से सांस नहीं ले पा रहा है तो यह टेस्ट करने के साथ ही ऑक्सीजन बंद कर दी जाती है, जिसके बाद रोगी में सप्लाई की गई ऑक्सीजन की मात्रा को रिकॉर्ड किया जाता है। आपको एबीजी(ABG) टेस्ट कब करना चाहिए?इससे पहले आपको एक आवश्यक सूचना दे दें कि यदि आप अपने रक्त को पतला या एसपीरिन बनाने के लिए कोई दवा ले रहे हैं, तो यह जानकारी आपको अपने डॉक्टर को पहले ही दे देनी चाहिए। वहीं जब आपके पास स्वशन की समस्या के लक्षण नजर आ रहे हैं, जैसे कि सांस लेने में तकलीफ,तेजी से सांस लेना तब हम इस टेस्ट के लिए जा सकते हैं। जब आप एक फेफड़े की बीमारी के लिए इलाज करा रहे हैं, तब आपके शरीर में एसिड बेस और संतुलन का संदेह होता है। जहां आप रक्त के o2और co2 के लिए कुछ सर्जरी भी करा सकते हैं। ABG के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानने योग्य बातें
रक्त गैसें आपको क्या बताती हैं?Arterial blood gas एक ऐसा नैदानिक परीक्षण माना जाता है, जिसमें धमनी रक्त के पीएच का माप शामिल होता है, जिसमें मुख्य रूप से हमारे शरीर की धमनियों के रक्त में घुलने वाले ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा का नियमित रूप से निदान किया जाता है। इस परीक्षण का उपयोग रक्त में पीएच स्तर को निर्धारित करने के लिए भी किया जाता है। आप यह भी आसानी से जान सकते हैं कि यह कितना अम्लीय है। इसके लिए हमारे शरीर में कुछ ऐसे संकेत नजर आते हैं, जिसके बाद हमें ब्लड गैस टेस्ट की सलाह दी जाती है। जैसे कि यदि आपको काफी समय से खराब किडनी, नकसीर, झटका और नियमित मधुमेह के लक्षण नजर आ रहे हैं तो फिर आपको चिकित्सक की और रक्त गैस टेस्ट की सलाह लेनी पड़ सकती है। जिस परीक्षण में धमनी से थोड़ी मात्रा में रक्त के संग्रह की आवश्यकता होती है। इसे पूरा होने में केवल कुछ ही मिनट का समय लगता है। आपको यह बता दे कि ब्लड गैस टेस्ट के परिणाम आसानी से आपके डॉक्टर को यह जाने की अनुमति देता है कि आपके शरीर में फेफड़ों की बीमारी सहित कुछ स्थितियों के लिए दिए जा रहे उपचार कितने अच्छे तरीके से काम कर रहे हैं। आपको यह बताया जाता है कि आपकी ज्यादातर एक धमनी से रक्त का नमूना आमतौर पर व्यक्ति के कलाई में रेडियल धमनी या तो कभी-कभी आपकी बांहों से नमूने के तौर पर निकाला जाता है, जिसे परीक्षण के लिए आगे भेजा जाता है। कुछ अन्य ABG के महत्वपूर्ण फुल फॉर्म्सABG- ads by Google ABG- Air Base Group तो दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आपको ABG फुल फॉर्म hindi me के बारे में पूरी जानकारी मिली। अगर आप यह आर्टिकल ABG full form English में पढ़ना चाहते हैं तो FULLFORM.WEBSITE पर विजिट करे। Related full forms- WBC full form in Hindi
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What is the full form of ADS (एडीएस) ? |
Answer» यहां हम ADS के दो full form पर चर्चा करने जा रहे हैं एक ADS का full form चिकित्सा से संबंधित है जहाँ ADS का दूसरा full form गेमिंग में Call of duty से संबंधित है। चिकित्सा में ADS का फुल फॉर्मADS का full form Acquired demyelinating syndrome है। Acquired demyelinating syndrome या ADS CNS के भड़काऊ डिमैलिनेशन की एक गंभीर या अचानक शुरुआत है, जिसका अर्थ है केंद्रीय तंत्रिका तंत्र। मल्टीपल स्केलेरोसिस या एमएस का पहला अटैक बचपन में ही प्रकट होता है। बचपन में मल्टीपल स्केलेरोसिस का पहला हमला एक बच्चे से दूसरे बच्चे में बहुत अलग दिखाई देता है। एक बच्चे से दूसरे बच्चे में यह मल्टीपल स्केलेरोसिस अटैक आने के तरीके में अंतर हो सकता है। यह विमुद्रीकरण एक एकल फोकल स्थान में हो सकता है या यह एक से अधिक स्थानों पर भी हो सकता है जिसे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में पॉलीफोकल कहा जाता है। Acquired demyelinating syndromeवाले बच्चों में से एक तिहाई बच्चों में मल्टीपल स्केलेरोसिस का निदान सामान्य रूप से 2-4 वर्षों के भीतर Acquired demyelinating syndromeके बाद हो जाता है। 2010 मैकडॉनल्ड्स मल्टीपल स्केलेरोसिस मानदंड के आधार पर यह निदान कभी-कभी तुरंत किया जा सकता है। इसे बाद में बीमारी के वापस आने के कुछ अतिरिक्त नैदानिक या एमआरआई साक्ष्य के आधार पर भी बनाया जा सकता है। कॉल ऑफ ड्यूटी गेम में ADS (एडीएस) का फुल फॉर्मCall of duty में ADS का full form Aiming down sights है जो एक संक्षिप्त रूप है जो समग्र रूप से शैली के लिए एक है और फ्रैंचाइज़ी के लिए अद्वितीय नहीं है। Aiming down sights खिलाड़ियों को अपने हथियारों को फायर करने के लिए गेमिंग पिनपॉइंट सटीकता प्रदान करता है। खेल के मंच के आधार पर आराम पक्ष के खिलाड़ी आदतन उन जगहों या ADS को निशाना बनाते हैं जो उनमें से कुछ भी बचे हैं। हिप फायरिंग ADS के विपरीत है या गेमिंग में दर्शनीय स्थलों को निशाना बनाना है। फ्रैंचाइज़ी में कूदते समय या पहली बार पूरी तरह से प्रथम व्यक्ति निशानेबाजों में ड्यूटी गेमिंग की कॉल में कई खिलाड़ी ड्यूटी के कॉल में नीचे दृष्टि को लक्षित करने के अर्थ के बारे में भ्रमित हो सकते हैं। Call of duty के बारे मेंCall of duty जो एक बहुत प्रसिद्ध FPS फ़्रैंचाइज़ी है जो कई प्लेटफार्मों में प्रविष्टियां उत्पन्न करती है। आधुनिक युद्ध, जो एक नई प्रविष्टि है, फ्रैंचाइज़ी के लिए एक सॉफ्ट रीबूट की तरह है जो इसे आधुनिक सेटिंग में कर्तव्य की कॉल वापस लाता है। फ्रैंचाइज़ी में Aiming down sights कभी नहीं बदला, जबकि प्रशंसकों ने उन्नत आंदोलन के वर्षों के बाद ग्राउंडेड मल्टीप्लेयर वापस पाने के लिए हंगामा किया। निशाना साधने की विशेषता चाकू और मुट्ठियों को छोड़कर सभी प्रकार के हथियारों पर लागू होती है। हिप फायरिंग नीचे की जगहों को निशाना बनाने के विपरीत काम करती है। यह विरोध तब तक अधिक गलत है जब तक कि कोई खिलाड़ी लेज़र या स्थिर लक्ष्य जैसे अनुलग्नक का उपयोग करना शुरू न कर दे। खेल में ड्यूटी खिलाड़ियों की कॉल के आधुनिक खिताब में एक दूसरे हथियार के रूप में एक चाकू तैयार कर सकते हैं। सामान्य रूप से नीचे देखने के लिए कोई दृष्टि नहीं होने के कारण बटन इनपुट सभी बटन के लिए एक माध्यमिक मुक्त हो गया। ADS FAQs in HindiCOD में ADS और हिप का क्या अर्थ है?जब तक खिलाड़ी सेटिंग में हिप फायरिंग विकल्प को समायोजित नहीं करता है, तब तक लक्ष्य की तुलना में हिप फायरिंग तेज होती है। हिप फायरिंग नीचे की दृष्टि को निशाना बनाने के विपरीत है। COD में ADS समय का क्या अर्थ है?खेल के कर्तव्य की पुकार में ADS समय का अर्थ Aiming down sights का समय। लक्ष्य नीचे दृष्टि सुविधा खिलाड़ी को अपने लक्ष्य नीचे दृष्टि बटन और हथियार को वास्तव में तैयार होने और दृष्टि को नीचे करने के लिए दबाए जाने के लिए समय की मात्रा है। क्या ADS या हिपफायर बेहतर है?Aiming down sights से चहल पहल काफी हद तक बाधित हो जाता है जो एक बड़ी चेतावनी है। हथियार से फायर करते समय हिप फायर का लक्ष्य नीचे की दृष्टि नहीं है, लेकिन ADS का उद्देश्य नीचे की दृष्टि से है जो फायरिंग के दौरान कूल्हे से फायरिंग की तुलना में अधिक सटीक है। दूरी पर नुकसान से निपटने के लिए Aiming down sights महत्वपूर्ण है, खासकर जब दुश्मन पूरे नक्शे में सौ फीट फैला हो। |
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What is the full form of BAMS(बीएएमएस) ? |
Answer» बीएएमएस(BAMS) का मतलब होता है, बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी। बीएएमएस यानी बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी एक ऐसा कोर्स होता है, जिसमें आप विज्ञान विषय के साथ कक्षा 12 पूरा करने के बाद इसकी पढ़ाई कर सकते हैं। यह मुख्य और लोकप्रिय रूप से आयुर्वेद का कोर्स है, जिसका संबंध चिकित्सा की पारंपरिक कला पर आधारित है। आप इस कोर्स के माध्यम से स्नातक की उपाधि प्राप्त करते हैं, जिसकी अवधि साढ़े पाँच साल की होती है। जिसमें पूर्ण तरीके से 4.5 साल का मेडिसिन कोर्स और 1 साल का इंटर्नशिप है।
यह बिल्कुल आवश्यक है कि इस पाठ्यक्रम में प्रवेश करने के लिए आपके न्यूनतम शैक्षिक योग्यता 12वीं कक्षा की होनी चाहिए। इससे भी एक महत्वपूर्ण बात जो आपको जानी जरूरी है कि 12वीं कक्षा से पास करने के बाद एक छात्र को संबंधित मेडिकल कॉलेज में दाखिल होने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर पर (Bachelor of ayurvedic and surgery) प्रवेश परीक्षा को पास करना अनिवार्य है। इस एंट्रन्स इग्ज़ैम को NEET– National Eligibility cum Entrance Test (नैशनल एलिजबिलिटी कम एंट्रन्स टेस्ट) कहते है। आपकी जानकारी के लिए बता दे की आयुर्वेद को चिकित्सा की सबसे पुरानी प्रणालियों में से एक माना जाता है, जिसकी जड़ें वैदिक काल से जुड़ी हुई है। आयुर्वेदिक चिकित्सा सदियों से चली आ रही एक ऐसी प्रणाली मानी जाती है, जो न केवल आपकी बीमारी को ठीक करता है, बल्कि इसे रोकने में भी काफी कारगर साबित होता है। BAMS डॉक्टर क्या है?इस बात को आज कोई नहीं नकार सकता कि पुराने समय में और आज के समय में अगर देखा जाए तो आयुर्वेद की महत्व बढ़ गई है। जिसके लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर की काफ़ी डिमांड हो गयी है एक समय ऐसा भी था, जब हमारे देश में आयुर्वेदिक डॉक्टर की मांग काफ़ी घट गई थी। पर जैसे जैसे अंग्रेजी दवाइयों के दुष्प्रभाव नजर आने लगे , लोगों का ध्यान और विश्वसनीयता आयुर्वेद की ओर बढ़ने लगी है। आज वर्तमान समय में आयुर्वेदिक डॉक्टर की मांग तेजी से बढ़ती नजर आ रही है। इसलिए कोई भी विद्यार्थि या व्यक्ति आसानी से एक आयुर्वेदिक डॉक्टर के तौर पर अपना कैरियर बना सकता है, पर असल मायने में देखा जाए तो आयुर्वेद का प्रमुख मकसद अच्छे स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करना होता है न कि रोगों का इलाज करना। जहां हम और आप अपने आसपास यह देखते हैं कि जिन्हें किसी तरह का कोई रोग नहीं है, वे भी आयुर्वेद उत्पाद का इस्तेमाल करते हैं ताकि वह एक सही स्वास्थ्य पा सके। और कोई भी बीमारी उनके आस पास भी ना आ सके। यही कारण है कि दिन प्रतिदिन एक बार फिर से आयुर्वेदिक डॉक्टर का स्वास्थ्य सेवाओं में योगदान बढ़ता जा रहा है। आपको एक आयुर्वेदिक डॉक्टर बनने के लिए 12वीं कक्षा में फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायोलॉजी विषयों में से कम से कम 50% अंकों के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए तभी आप इसके लिए आगे अप्लाई कर सकते हैं। तो आयुर्वेदिक डॉक्टर वह डॉक्टर है, तो आयुर्वेदिक विधियों से एक मरीज़ का इलग करता है, या किसी व्यक्ति को ऐसे सलाह या आयुर्वेदिक प्रॉडक्ट्स प्रयोग करने को बढ़ावा देता है, जिससे वह बीमार ही ना पड़े। बीएएमएस(BAMS) कोर्स के लिए पात्रता –बीएएमएस कोर्स में एडमिशन के लिए आपको कुछ प्रमुख बातों का ध्यान रखना होता है सबसे मुख्य बात जो ध्यान देने योग्य है कि विद्यार्थी को 12वीं कक्षा मेडिकल साइंस के साथ पास करना जरूरी है, जिसमें आपको 50% से अधिक अंक लाना अनिवार्य है। वहीं अगर उम्र की बात की जाए, तो इसके लिए न्यूनतम 17 साल की आयु सीमा रखी गई है। आपको प्रवेश के लिए इसकी कुछ मुख्य परीक्षाओं में सफल होना पड़ता है, जिसमें ऑल इंडिया एंटरेंस एग्जाम की प्रवेश परीक्षाएं आयोजित की जाती है। जिसे NEET कहा जाता है। BAMS- Bachelor of ayurvedic and surgery के लिए जो प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है, उस परीक्षा का पाठ्यक्रम कक्षा 12 वीं पर आधारित होता है। बीएएमएस कोर्स के लिए प्रवेश प्रक्रियाअगर आप बीएमएस कोर्स में इंटरेस्टेड हैं और इंडिया के किसी कॉलेज में एडमिशन लेना चाहते हैं , तो आपको नीट, नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट देना और उसमें अच्छा इसको करना जरूरी होता है । वैसे तो देखा गया है कि जो लोग नीट में अच्छा स्कोर करते हैं वह एमबीबीएस कोर्स के लिए चले जाते हैं तो थोड़ा कम स्कोर नीट में होने के बावजूद आप बीएमएस कोर्स में एडमिशन की उम्मीद कर सकते हैं। NEET एग्जाम के बाद आपको काउंसलिंग की प्रक्रिया से गुज़रनी होती है जिसके बाद आपको आपके स्कोर के अनुसार कॉलेज दिया जाता है। क्या बीएएमएस कोर्स में एडमिशन के लिए नीट (NEET) जरूरी है?जी हां, बीएएमएस कोर्स में एडमिशन के लिए नीट जरूरी है। बीएएमएस कोर्स के दौरान स्टूडेंट क्या सीखते हैं?साढे़ 5 साल का लंबा बैचलर डिग्री कोर्स में आपको साढे 4 साल के शैक्षिक सत्र को 1.5 के 94">3 पेशेवर पाठ्यक्रम में बांटा जाता है। जहां आपको पहले साल पेशेवर पाठ्यक्रम में छात्रों को आयुर्वेदिक प्रणाली को इतिहास आयुर्वेद के मूल , सिद्धांत, और शरीर क्रिया विज्ञान से जुड़ी बातों से रूबरू कराया जाता है। वही दूसरे पार्ट के दौरान व्यवसायिक पाठ्यक्रमों में छात्रों को इन निम्न विषयों के बारे में बताया जाता है।
अब तीसरी और आखिरी व्यवसायिक पाठ्यक्रमों में छात्रों को थोड़ी ज्यादा आधुनिक चिकित्सा से रू-ब-रू करवाया जाता है।
क्या BAMS, MBbS के बराबर है?BAMS का मतलब बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिकल मेडिसिन एंड सर्जरी है। वही एमबीबीएस का मतलब बैचलर ऑफ मेडिसिन और बैचलर ऑफ सर्जरी है। जहां नाम से ही पता चल जाता है कि दोनों अपने आप में एक अलग डिग्री है पर देखा जाए तो आमतौर पर लोग दोनों को एक रूप में मानते हैं। दोनो डिग्री होल्डर को डॉक्टर ही बुलाते है। जानकारी दे दे कि आप BAMS में चिकित्सा क्षेत्र में डिग्री प्राप्त करते हैं, जो आयुर्वेद की परंपरा को निखारता है। वही एमबीबीएस एक चिकित्सा स्नातक पाठ्यक्रम है जो लोगों को अंग्रेज़ी पद्धति से डॉक्टर बनने का मार्ग देती है। तो देखा जाए तो BAMS और MBBS काफ़ी हद तक एक भी है, की दोनो कोर्स करके आप डॉक्टर बनते है, और किसी भी मरीज़ का इलाज करने के लिए अधिकृत हो जाते है। लेकिन जहां आप MBBS करने के बाद हर तरह के रोग का इलाज कर सकते है, वही BAMS के बाद आप आयुर्वेदिक पद्धति के इलाज करने के लिए अधिकृत होते है। बीएएमएस(BAMS) कोर्स के बाद कैरियर ऑप्शंस क्या होते हैं?अगर आप आयुर्वेद के क्षेत्र में दिलचस्पी रखते हैं तो आप इस कोर्स को कर सकते हैं और इसके बाद आपके पास कई अच्छे करियर ऑप्शंस होते हैं, जैसे की –
टॉप कॉलेजेज़ फ़ोर BAMS#1. राजीव गांधी स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, बेंगलुरु इस विश्वविद्यालय की स्थापना 1996 में हुई, जो मुख्य रूप से कर्नाटक सरकार द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। इस विश्वविद्यालय से 680 कॉलेज संबद्ध है जहां आप आयुर्वेद से जुड़ी पाठ्यक्रम BAMS- Bachelor of ayurvedic and surgery,MS और MD की पेशकश की जाती है। #2. जेबी रोए राजकीय मेडिकल कॉलेज, कोलकाता यह भारत में सबसे पुराने आयुर्वेदिक कॉलेजों में से एक है जिसके 60 कॉलेजों कि सेवा क्षमता के साथ आप यहां से बैचलर की डिग्री प्राप्त कर सकते हैं। यह पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय से संबद्ध है। #94">3. आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, कोल्हापुर यह कॉलेज महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस नासिक से संबद्ध है, जिसकी स्थापना 1989 में हुई। यह अपनी सुविधाओं और बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए काफी प्रचलित माना जाता है। #4. श्री आयुर्वेद महाविद्यालय, नागपुर यह काफी जाना माना कॉलेज है जिसकी स्थापना 19594">3 में हुई थी। यह कॉलेज महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस नासिक से संबद्ध है स्नातक में यहां 194">3 विषयों की पेशकश की जाती है।। #5. दयानंद आयुर्वैदिक कॉलेज, जलंधर इसकी स्थापना साल 1989 में लाहौर में महात्मा हंस द्वारा की गई। जहां 1947 में विभाजन के बाद इसे अमृतसर में स्थापित किया गया। यह कॉलेज पंजाब विश्वविद्यालय से संबद्ध है। #6. राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर इसकी शुरुआत स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा 1976 में की गई जो मुख्य रूप से टीचिंग, ट्रेनिंग और रिसर्च के लिए माना जाता है। #7. भारती विद्यापीठ, पुणे इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही स्तर पर जाना जाता है।यह पूरी तरह से आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। यह भारत के कुछ संस्थानों में से एक है जो सभी 14 विभागों में पोस्ट ग्रेजुएट, कोर्ट पेशकश करता है। #8. राजीव गांधी सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेज, कांगड़ा इस सरकारी कॉलेज की स्थापना साल 1966 में की गई थी, जो आपको BAMS और MD पाठ्यक्रम प्रदान कराता है। #9. गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जामनगर यह एक ऐसी संस्था है, जो पूरी तरह से गुजरात सरकार द्वारा वित्त पोषित है। आप यहां पर औषधीय पौधों में पीएचडी बीएएमएस, एम डी, डी फार्मा, बी फार्मा और पीजी डिप्लोमा भी कर सकते हैं। #10. राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज, लखनऊ इसका कॉलेज और अस्पताल दोनों ही लखनऊ विश्वविद्यालय से संबद्ध है। यह कॉलेज 50 की सेवा क्षमता के साथ अपनी गुणवत्ता की शिक्षा के लिए जाना जाता है।
दोस्तों उम्मीद है की इस आर्टिकल के माध्यम से आपको बीएएमएस फुल फॉर्म के बारे में एक संक्षिप्त मगर महत्वपूर्ण जानकारी मिल पाया। अगर आपकी तरफ से कोई सुझाव या सवाल हो तो कमेंट करके बताएं अगर आप बीएमएस फुल फॉर्म इंग्लिश में पढ़ना चाहे तो FULL FORM वेब्सायट पर विजिट करें SIMILAR FULL FORMS- ABG का फ़ुल फ़ॉर्म |
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What is the full form of BCG(बीसीजी) ? |
Answer» BCG(बीसीजी) का मतलब या फ़ुल फ़ॉर्म Bacillus calmette Guerin (बेसिलस कालमेटे गुएरीन) होता है। यह एक प्रकार का वैक्सीन है जिसके देने की एकमात्र वजह है कि यह मरीज को टीवी के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है। वही देखा जाए तो इस वैक्सीन का उपयोग मूत्राशय के ट्यूमर या मूत्राशय के कैंसर के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। पर आपको यह जानकारी दे दे कि BCG (Bacillus calmette Guerin) हमें 100% टीवी संक्रमण से बचाव नहीं करता है। हां, पर हम देख सकते हैं कि यह हमारे संक्रमण को फेफड़ों तक रोके रखने में सहायता प्रदान करता है।
यही वजह है कि सभी स्थानीय नवजात को टीवी के संक्रमण से बचाव के लिए जन्म के बाद यह टीका दिया जाना चाहिए। आप देखेंगे कि यह टीका मुख्य रूप से इंजेक्शन के रूप में प्रकाशित होता है, जो हमें हर तरह के रोग से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। यह दुनिया में सबसे सफल प्रतिरक्षा उपचारों में से एक रहा है जहां कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं कि अगर यह कुछ प्रतिरक्षा समझौता रोगी को गलती से दिया जाता है तो यह जीवन के लिए भी जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए आप इसके लिए पूरी तरह से सही चिकिसक की निगरानी में ले। बीसीजी(BCG) वैक्सीन(टीका) कैसे काम करता है?यह मुख्य रूप से हमारे शरीर में उन प्रभावी जगहों पर अपनी प्रतिक्रिया दिखाता है जो टीवी का कारण बनता है। जहां इस वैक्सीन में माइक्रोबैक्टेरियम बोविस का एक कमजोर स्ट्रेन होता है, जो वास्तव में बीमारी पैदा किए बिना बैक्टीरिया के जवाब में बचाव प्रणाली को उत्तेजित करता है। यह पूरी तरह से हमें इस रोग से बचाने में समर्थ है। आपको बता दें कि हमारे शरीर में एंटीबॉडी रहते हैं जो एक बैक्टीरिया के साथ हमें भविष्य में संक्रमण से बचाते हैं, जिसमें मुख्य रूप से BCG(Bacillus calmette Guerin) वैक्सीन इस प्रकार हमारे शरीर के टीवी बैक्टीरिया के खिलाफ एंटीबॉडी का उत्पादन करने में मदद करता है, जिससे हम ट्यूबरक्लोसिस से आसानी से बच सकते हैं। आमतौर पर देखा जाए कि यह वैक्सीन हमें कई तरह के रोगों से बचाता है, जिसमें हम आसानी से निर्जलीकरण,मांसपेशियों में ऐंठन होना, मधुमेह की तीव्रता बढ़ना, सोडियम और क्लोराइड की कमी होने जैसी समस्या से बच सकते हैं, जो पूर्ण रूप से हमारे शरीर को बहुत सी बीमारियों और लक्षणों के उपचारों को नियंत्रित और रोकथाम के लिए किया जाता है। जिसे टीकाकरण की एक ऐसी प्रक्रिया मानी जाती है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी अहम और महत्वपूर्ण है। बीसीजी वैक्सीन किसे नहीं लेना चाहिए ?हर किसी को यह वैक्सीन लेने की सलाह नहीं दी जाती है, जिसके अनुसार कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें BCG- Bacillus calmette Guerin का टीका नहीं लगवाना चाहिए वह कुछ इस प्रकार है:-
जन्म के समय बीसीजी क्यों दिया जाता है?BCG (Bacillus calmette Guerin) का टीका हमारे लिए काफी अहम भूमिका निभाता है। जहां आपको बता दें कि यह टीका शिशु को टीवी की बीमारी की सुरक्षा प्रदान करता है। BCG का यह टीका शिशु के जन्म से 15 दिनों के भीतर लगवाना बहुत जरूरी होता है। जहां अधिकांश यह देखा गया है कि यह टीका शिशु को अस्पताल में ही लगाया जाता है। BCG- Bacillus calmette Guerin का टीका लेने वाले शिशु को ओरल पोलियो का जीरो डोज भी पिलाया जाता है। आपको इसके लिए परेशानी की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह टीका बहुत सस्ता, सुरक्षित और आसानी से मिलने वाला है। यदि आप एक बार जन्म के समय शिशु को यदि यह टीका लगाते हैं तो शिशु को पूरी उम्र भर टीवी की बीमारी से बचने में मदद मिलती है। बीसीजी को बाएं हाथ में क्यों दिया जाता है?BCG- Bacillus calmette Guerin टीका का बाएं हाथ में देने की एक खास वजह है, कि ज्यादातर लोग दाएं हाथ के होते हैं। इसलिए उन्हें बाएं हाथ में टीका दिया जाता है, क्योंकि आपको हल्का दर्द महसूस हो सकता है। BCG- Bacillus calmette Guerin का टीका बच्चों को इंजेक्शन के माध्यम से बायें हाथों में दिया जाता है। जहां कुछ बच्चों में यह देखा जाता है कि टीका लगने के स्थान पर लाल फुंसी या फोड़े विकसित हो सकते हैं। बाद में यह धीरे-धीरे गायब हो जाएंगे और कुछ ही सप्ताह में हल्का निशान छोड़ कर या बिना निशान छोड़े भर जाएंगे। टीका जिस हाथ में लगे उस हाथ पर कोई दवाई या लेप नहीं लगाना चाहिए ना ही उस जगह को दबाने या पट्टी लगाने की सलाह दी जाती है। बस आपको हल्के कपड़े पहनने को कहा जाता है। बीसीजी का उपयोग क्या है?BCG- Bacillus calmette Guerin टीका काफी प्रभावी रूप से हमारे शरीर को फायदा पहुंचाता है। यह वैक्सीन टीवी बैक्टीरिया के कमजोर पड़ने से बनी है, क्योंकि वैक्सीन में बैक्टीरिया कमजोर है। इसलिए यह रोग से बचाने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को ट्रिगर करता है। आपको यह जानकारी दे दे कि हम लोगों को अच्छी प्रतिरक्षा प्रदान करता है जो इसे वास्तव में बीमारी पैदा किए बिना प्राप्त करते हैं। एसटीके में जीवित बैक्टेरिया होते हैं जिन्हें कमजोर किया जाता है। यह शरीर द्वारा तपेदिक का कारण बनने वाले बैक्टीरिया के खिलाफ अपनी सुरक्षा को उत्पादन करके काम करता है। वही यह बताया जाता है कि जो भी लोग स्वसन टीवी से संक्रमित हैं तो उस व्यक्ति के निकट मत जाइए। यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि इसके लिए स्थानीय जीपी सर्जरी हो, क्योंकि सभी सर्जरी इस सेवा को प्रदान नहीं करती है। आपको एक महत्वपूर्ण जानकारी दे दे कि यदि आप एक ही समय में अन्य दवाइयों या उत्पादों का सेवन करते हैं तो इस टीके का प्रभाव में परिवर्तन आ सकता है। जहां यह देखा गया है कि यह दुष्प्रभाव के प्रति आपके जोखिम को बढ़ा सकता है या हो सकता है इसकी वजह से आपकी दवा सही से काम ना करें। यह इसलिए आप जो भी सप्लीमेंट ले रहे हैं उसके बारे में अपने डॉक्टर से अवश्य सलाह ले। क्या बीसीजी वैक्सीन आवश्यक है?BCG- Bacillus calmette Guerin टीका काफी महत्वपूर्ण होता है। जहां 1 वर्ष तक के सभी शिशुओं के लिए बीसीजी टीकाकरण की सिफारिश की जाती है। वहीं यदि आप इस टीके को नहीं लगाते हैं तो फिर आप टीवी जैसी घातक बीमारी से ग्रस्त हो सकते हैं, जो कि किसी भी जीवन अस्थमा में तकलीफ दायक साबित हो सकता है। BCG- Bacillus calmette Guerin का टीका सभी बच्चों के लिए जरूरी होता है। शेड्यूल के हिसाब से नहीं लगा पाने की अवस्था में भी यह टीका 5 वर्ष की आयु तक लिया जा सकता है।
तो दोस्तों मुझे उम्मीद है कि यह आर्टिकल आपको बीसीजी के फुल फॉर्म के बारे में पूरी जानकारी मिला सभी प्रकार के टीकाकरण की पूरी जानकारी के लिए आप WHO के वेबसाइट पर भी विजिट कर सकते है. ABG full form BAMS full form
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What is the full form of Covid 19 (कोविद 19) ? |
Answer» कोविद 19 पूर्ण रूप- फुल फॉर्म या अर्थ कोरोनावायरस रोग है। कोविद 19 या कोरोनोवायरस रोग एक वायरल संक्रमण है, जो सही तरीके से इलाज न होने पर बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। यह बीमारी एक सामान्य वायरल संक्रमण के समान है, लेकिन रोगी की स्थिति खराब हो सकती है, और यहां तक कि उसकी मृत्यु उचित उपचार के बिना हो सकती है। कोरोना रोग को अक्सर नोबेल कोरोना भी कहा जाता है। यह बीमारी आमतौर पर जानवरों और पक्षियों में पाई जाती थी, लेकिन दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर में मानव शरीर में भी इसकी पुष्टि हुई। और पहले रोगी की पुष्टि 31 दिसंबर 2019 को हुई थी, इसलिए इस बीमारी को कोविद 19 भी कहा जाता है। पहले डब्ल्यूएचओ – विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे एक चिकित्सा आपातकाल घोषित किया था, लेकिन बीमारी की भयावहता को देखते हुए, इसे एक महामारी घोषित किया गया है। 31 दिसंबर 2019 को चीन के वुहान शहर में कोरोनोवायरस की पहली पुष्टि की गई थी। यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत आसानी से चीन में फैल गई, 2 महीने के भीतर एक लाख से अधिक लोग इस बीमारी से प्रभावित हो गए। बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए, सरकार ने लोगों को घर से निकालने पर भी प्रतिबंध लगा दिया। COVID-19 एक नए प्रकार का संक्रामक रोग है, जो कोरोनावायरस नामक एक नए वायरस के कारण होता है। इस बीमारी की खोज दिसंबर 2019 में वुहान, चीन से हुई थी ,और तब से यह दुनिया भर में फैल गई है। माना जाता है कि कोरोनावायरस जानवरों से उत्पन्न हुआ था, और मानव उनके संपर्क में आने से संक्रमित हुए हैं। जब कोरोनावायरस से ग्रस्त व्यक्ति छींकता है, या खांसी करता है, तो कोरोनोवायर उस रोगी के शरीर से पानी की छोटी बूंदों के रूप में दूसरे मानव में जाता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को तेज बुखार और बदन दर्द के साथ-साथ सांस लेने में कठिनाई होती है। बुखार के साथ इस बीमारी के दौरान रोगी को सर्दी और खांसी भी होती है। यह रोग उन रोगियों के लिए अधिक खतरनाक साबित होता है, जिन्हें पहले से ही कोई गंभीर बीमारी जैसे कि शुगर, एड्स, कैंसर आदि है। इस बीमारी के कारण अपनी जान गंवाने वाले ज्यादातर लोग उम्रदराज पाए गए हैं। मतलब कि जब 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हैं, तो उनकी मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है। इस वायरस को कोरोना क्यों कहा जाता है?कोरोनावायरस आकार में गोल होता है और इसमें आरएनए पाया जाता है। जब हम इसे माइक्रोस्कोप से देखते हैं, तो यह एक ताज की तरह दिखता है। जिसका नुकीला आकार है। एक मुकुट आकार होने के कारण, इस वायरस को कोरोनावायरस कहा जाता है। कोविद 19 रोग का उपचार क्या है?कोरोनावायरस बीमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं है, केवल इसे रोका जा सकता है। इस बीमारी के इलाज के रूप में, डॉक्टर आपको सामान्य वायरल संक्रमण के लिए दवा देता है। यदि आपका प्रतिरक्षा स्तर अच्छा है, तो आप इस बीमारी से बाहर निकलने में सक्षम होंगे। भारत में कुछ डॉक्टरों ने कुछ रोगियों का एड्स दवाइयों के द्वारा सफलतापूर्वक इलाज किया है। चीन में 70000 से अधिक कोरोनावायरस पीड़ितों पर शोध करने के बाद WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार, 88% रोगियों में बुखार था, जबकि कोरोना वायरस से पीड़ित 68% रोगियों को सूखी खांसी थी, 38% रोगियों ने थकान महसूस की । , और 33% रोगियों ने बलगम की शिकायत की वही कोरोना से पीड़ित कुछ रोगियों ने सांस फूलने की शिकायत की और कुछ ने गले में दर्द की शिकायत भी की। डब्ल्यूएचओ को इस बीमारी से बचाव के लिए बार-बार साबुन से हाथ धोने की सलाह दी गई है, अगर साबुन और पानी उपलब्ध नहीं है, तो हैंड सैनिटाइजर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि आप अपने हाथ से अपने चेहरे को बार-बार नहीं छूते हैं, तो आप इस बीमारी से काफी हद तक बच सकते हैं। इस बीमारी की मृत्यु दर लगभग 2 प्रतिशत के करीब है, लेकिन इस बीमारी को और खतरनाक बना देता है कि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत जल्दी फैल सकता है। जैसा कि कोरोनवायरस वायरस जिसे कोविद भी कहा जाता है, पहली बार दिसंबर 2019 में परीक्षण किया गया था, इसे कोविद 19 भी कहा जाता है।
इसी तरह के पूर्ण रूप एचआईवी फ़ुल फ़ॉर्म बीएमआई फुल फॉर्म |
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What is the full form of BMI(बीएमआई) ? |
Answer» BMI(बीएमआई) का मतलब या BMI का फ़ुल फ़ॉर्म Body Mass Index(बॉडी मास इंडेक्स) होता है । आप इसे एक फार्मूले के तौर पर जान सकते हैं जो वजन तय करने के लिए कारगर है, क्योंकि आमतौर पर लोगों को यह मालूम नहीं होता कि उनका वजन कितना होना चाहिए। जहां आप इसके इस्तेमाल से यह आसानी से पता लगा सकते हैं कि आपके शरीर के मुताबिक आपका कितना वजन होना चाहिए। आपका वजन कितना कम है, या कितना ज्यादा है इससे पता चलता है कि आपका शरीर आपको किस तरह के संकेत दे रहा है। अगर आपका BMI- Body mass index सही नहीं है तो फिर समझ ले कि आपको डायबिटीज, स्ट्रोक और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों का खतरा है। उदाहरण के तौर पर हम आपको बता दें कि भारतीयों के लिए उनका बॉडी मास इंडेक्स 236987">2236987">2.1 से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
किसी भी जवान इंसान की शरीर का अपेक्षित भार उसकी लंबाई के अनुसार होना सही माना जाता है, क्योंकि इससे आपके शरीर का ढांचा सही रहता है। इसलिए यह जानना आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है, कि ओवरवेट होना या मोटापे का शिकार होने से पहले ही आप अपने वजन को नियंत्रित कर ले वरना जोखिम भरी स्थिति हो सकती है। बीएमआई कैटेगॉरीज़ (BMI categories)सबसे बड़ा सवाल जो लोगों के मन में उठता है कि कितना बॉडी इंडस होना चाहिए,जिससे कि हमें पता चल सके कि हम स्वस्थ हैं या नहीं 18.5 से कम बॉडी मास इंडेक्स है तो:- अगर आप की ऊंचाई और वजन के आधार पर आपका बॉडी मास इंडेक्स 18.5 से कम आता है, तो समझ ले कि आपका वजन सामान्य से कम है और आपको इसे बढ़ाने की कोशिश करने की सलाह दी जाती है। 18.5 से 236987">24.9 के बीच बॉडी मास इंडेक्स:- अगर आपका बॉडी मास इंडेक्स स्तर 18.5 से 236987">24.9 के बीच में है तो यह एक बहुत ही सही स्थिति मानी जाती है, क्योंकि इस स्थिति में आपका वजन बिल्कुल फिट रहता है, और आपको बस इसे हमेशा मेंटेन रखने की जरूरत होती है। 236987">25 से ऊपर बॉडी मास इंडेक्स:- अगर आपका बॉडी मास इंडेक्स 236987">25 या उससे ऊपर है, तो फिर आपको यहां से सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि आपको बता दें कि इस स्थिति में आपको डायबिटीज 236987">2, दिल का रोग होने की अधिक संभावना होती है। जबकि 238183">30 से अधिक बॉडी मास इंडेक्स होने पर मोटापे के सभी दुष्परिणाम के लिए आप तैयार रहें। बॉडी मास इंडेक्स का कैलकुलेशन कैसे होता है?BMI- Body mass index कैलकुलेट करने का सबसे आसान तरीका हम आपको उदाहरण के तौर पर बताते हैं कि यदि आपका वजन 65 किलो है और लंबाई 5.236987">2 फीट यानी 1.58496 मीटर है तो इसका बॉडी मास इंडेक्स आप 65/1.5 8496 ×1.5 8496 करके निकाल सकते हैं, जो परिणाम आएगा वही आपका बॉडी मास इंडेक्स होगा। इसके अलावा आपको यह भी बता दें कि आप बॉडी मास इंडेक्स को मापने के लिए फीते का इस्तेमाल करके अपने कद को इंचों में माप सकते हैं। इसके लिए आप बस दीवार के पास सीधे खड़े हो जाएं और पेंसिल की सहायता से अपने सर के निकट दीवार पर एक निशान लगाएं, फिर आप इसकी लंबाई को आसानी से माप सकते हैं। आपको जानकारी दे दे कि अधिक सटीक माप के लिए स्किनफोल्ड थिकनेस मेजरमेंट अंडर वाटर वेटिंग और बायोइलेक्ट्रिकल इंपेडेंस विश्लेषण को एक विकल्प के तौर पर चुन सकते हैं पर आपको यह जानना होगा कि यह सारे तरीके आसानी से उपलब्ध नहीं होते हैं और काफी महंगी भी होते हैं। जहां आप इसके बजाय बॉडी कंपोजिशन एनालिसिस मशीन से आकलन प्राप्त कर सकते हैं। BMI- Body mass index हमेशा यह तय करने का सबसे अच्छा तरीका नहीं है कि आपको वजन कम करने की आवश्यकता है या नहीं….. यदि आपके पास सामान्य से अधिक या कम मांसपेशियां है तो आपका बॉडी मास इंडेक्स आपके शरीर का फैट कितना है यह आसानी से और सटीक माप कर सकता है जो आपको सही रिजल्ट प्रदान करता है। सामान्य बीएमआई क्या है?स्टैंडर ऑफ द इंडियन हेल्थ मिनिस्ट्री के अनुसार बॉडी मास इंडेक्स 236987">23 से कम होने पर नॉर्मल, 238183">30 से ज्यादा है तो ओवरवेट और 236987">25 से ज्यादा है तो इस बॉडी मास इंडेक्स वाली महिलाओं को मोटापे की श्रेणी में रखा गया है। आपको अगर यह नहीं पता तो जानकारी देदे की बॉडी मास इंडेक्स पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग अलग होता है और इसे 100% सही माना जा सकता है। इसके पैमाने के लिए केवल वेट और हाइट होते हैं जबकि बॉडी वेट कंटेंट और मसल्स कंटेंट नहीं होते हैं। जैसे कि आपको पता है एक महिला की बॉडी पर पुरुषों की तुलना में अधिक फैट होता है, लेकिन देखा जाए तो बॉडी मास इंडेक्स एक समान होता है। बॉडी मास इंडेक्स पर नजर रखकर आप अपने वजन पर खुद की नियंत्रण कर सकते हैं। ओवरवेट होना या मोटापे का शिकार होने पर पहले मोटापे पर नियंत्रण करें। यदि आपका बॉडी मास इंडेक्स ठीक है तो पोषक आहार और व्यायाम की मदद से आप बाद में अपना वजन बढ़ा सकते हैं। यदि आपका बॉडी मास इंडेक्स आपको हेल्दी वेट दर्शाता है तो कमर की माप लेना और भी जरूरी हो जाता है। अगर आपकी कमर 80 सेंटीमीटर से अधिक है तो फिर आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से ग्रस्त होने का खतरा ज्यादा हो जाता है।
तो दोस्तों मुझे उम्मीद है कि बीएमआई फुल फॉर्म का यह आर्टिकल आपको बीएमआई यानी बॉडी मास इंडेक्स के बारे में अच्छी जानकारी उपलब्ध करा पाया। अगर आप यह आर्टिकल बीएमआई फुल फॉर्म इंग्लिश में पढ़ना चाहे तो इस वेबसाइट के इंग्लिश वर्शन पर क्लिक कर सकते हैं। हेल्थ से जुड़ी बहुत सारी जरूरी जानकारी के लिए आप डब्ल्यूएचओ के वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
Similar Full Forms बीसीजी का फ़ुल फ़ॉर्म एबीजी का फ़ुल फ़ॉर्म |
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What is the full form of DNA(डीएनए) ? |
Answer» DNA(डीएनए) का फुल फॉर्म या मतलब Deoxyribonucleic acid (डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड) होता है मानव का शरीर तरह-तरह की कोशिकाओं से मिलकर बना होता है, जिसमें से एक अणु DNA होता है। आप डीएनए की सहायता से परिवार या किसी के वंश के बारे में आसानी से पता लगा सकते हैं। इसमें एक ऐसे प्रकार का अनु पाया जाता है, जो मानव के शारीरिक संबंध को बताता है। डीएनए में पूर्ण रुप से जेनेटिक गुण पाए जाते हैं। डीएनए शरीर की अनुवांशिक क्रियाओं का संचालन करता है, जितने भी प्रोटीन संश्लेषण होते हैं, उनको नियंत्रण में रखना भी डीएनए का कार्य होता है। मुख्य रूप से देखा जाए तो डीएनए का सबसे महत्वपूर्ण कार्य जेनेटिक कोड को प्रयोग में लेकर रूटीन में पाए जाने वाले अमीनो एसिड अवशेष का जो अनुक्रम होता है उसे इनकोड करना है। दूसरे शब्दों में कहें तो डीएनए ही वह माध्यम है, जिसके कारण किसी भी इंसान या प्राणी का गुण , उसके होने वाले बच्चे में आता है डीएनए (DNA) के कार्यडीएनए का कार्य इसकी संरचना से जुड़ा हुआ है। जो इसके कार्य को समझने के लिए समीक्षा करने में सहायक है। जैसा कि ऊपर कहा गया है, डीएनए के बुनियादी बिल्डिंग ब्लॉक न्यूक्लियोटाइड हैं। ये न्यूक्लियोटाइड्स एक पांच-कार्बन चीनी, एक फॉस्फेट समूह और एक नाइट्रोजनस बेस से बने होते हैं। शक्कर और फॉस्फेट डीएनए के प्रत्येक स्ट्रैंड को बनाने के लिए न्यूक्लियोटाइड को एक साथ जोड़ते हैं। जब डीएनए के दो स्ट्रैंड एक साथ आते हैं, तो प्रत्येक स्ट्रैंड के न्यूक्लियोटाइड के बीच बेस जोड़े बनते हैं। नाइट्रोजनीस बेस निम्न तरीके से एक साथ जोड़ी बनाते हैं: एटी और सीजी। गैसें कमजोर बांडों के माध्यम से संपर्क करती हैं, जिन्हें हाइड्रोजन बांड कहा जाता है, जिन्हें आसानी से तोड़ा और सुधारा जा सकता है। डीएनए (DNA) जांचने की विधिडीएनए टेस्ट के लिए आपके शरीर से कुछ सैंपल लिया जाता है। इसमें आपके खून, उल्ब तरल, बाल या त्वचा आदि लिया जा सकता है। आपको बता दें कि उल्ब तरल या एम्नियोटिक फ्लूइड गर्भावस्था में भ्रूण के चारों ओर मौजूद तरल को कहते हैं। इसके अतिरिक्त आप डीएनए टेस्ट कराने वाले व्यक्ति के गालों के अंदरूनी भाग से भी सैंपल लिए जा सकते हैं। इन नमूनों के जाँच के लिए जगह-जगह पर मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाएँ बनाईं गईं हैं। इन प्रयोगशालाओं में आप एक निश्चित रकम जो कि 10 से 40 हजार के बीच हो सकती है, चुका कर डीएनए टेस्ट करवा सकते हैं. जाँच की रिपोर्ट आपको 15 दिनों के अंदर मिल सकती है।
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What is the full form of ECG(ईसीजी) ? |
Answer» ECG(ईसीजी) का मतलब या फ़ुल फ़ॉर्म Electro cardio diagram(इलेक्ट्रो कार्डियो डायग्राम) होता है। ECG- Electro cardio diagram एक टेस्ट के तौर पर होता है, जो आमतौर पर आपके दिल की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को जांचने के लिए किया जाता है। जहां आपको यह जानकारी दे दे कि सामान्य विद्युत गतिविधि, आपको यह इशारा करती है, कि आपका ह्रदय सामान्य स्थिति से काम कर रहा है। यह प्रक्रिया के माध्यम से दिल की विद्युत गतिविधि को कागज पर लाइन ट्रेसिंग के रूप में दर्शाता है, जो एक वेव के समान नजर आती है। अगर आपके दिल में खराबी है, या किसी तरह की कोई परेशानी है, तो इस प्रक्रिया को किया जाता है, जो कि एक रिस्क रहित प्रक्रिया मानी जाती है। यह आपके शरीर जैसे हाथ, पैर या छाती पर विशेष स्थानों पर इलेक्ट्रोड रखकर किया जाता है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि ईसीजी Electro cardio diogram टेस्ट कराने से पहले आप को इस बात का बिल्कुल खास खयाल रखना है, कि जिस दिन भी आपको Electro cardio diogram करानी है, उस दिन आप अपने शरीर पर कोई चिकना क्रीम या लोशन ना लगाएं,क्योंकि बताया जाता है कि त्वचा पर चिकनाहट आने से इलेक्ट्रोड त्वचा के संपर्क में नहीं आ पाता है। आप एक महत्वपूर्ण बात भी जान ले कि इसीजी की प्रक्रिया करने से पहले ठंडे पानी ना पिए और ना ही एक्सरसाइज करें, क्योंकि ठंडे पानी के कारण इस टेस्ट को रिकॉर्ड करने में इलेक्ट्रिकल पैटर्न में परिवर्तन आ सकता है। जहां एक्सरसाइज से आपकी हृदय की गति बढ़ जाती है, जो आपके टेस्ट के रिजल्ट को काफी रूप से प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए इन बातों पर गौर करना आपके लिए काफी महत्वपूर्ण है। ईसीजी(ECG) की आवश्यकता क्यों है?हमें ईसीजी की जरूरत इन महत्वपूर्ण बातों का पता लगाने के लिए होती है, जो महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
आपको जानकारी दे दे कि ईसीजी आपके दिल की विद्युत गतिविधि की एक तस्वीर को रिकॉर्ड करने में सक्षम है, लेकिन यह केवल उस वक्त संभव हो सकता है, जिस वक्त आपको मानीटर किया जा रहा हो। इस प्रक्रिया के माध्यम से आपके हृदय से जुड़ी सारी बातों का पता चल जाता है। जैसे कि अतीत में दिल का दौरा होना, छाती में दर्द के कारण, सांस लेने में तकलीफ जैसी परेशानी जिससे आप जूझ रहे हैं, तो फिर आपके स्वास्थ्य के लिए ईसीजी का करना काफी जरूरी माना जाता है। आपको बता दें कि आपकी इस स्ट्रेस टेस्ट और दिल की गतिविधियों का पता लगाने के लिए हमें ईसीजी टेस्ट की आवश्यकता होती है। कभी-कभी यह देखा जाता है कि किसी व्यक्ति को व्यायाम के दौरान समस्याएं होती है, जिससे कि मौत होने की भी काफी आसार होते हैं। इसी तरह की गतिविधियों से निपटने के लिए हमें ईसीजी Electro cardio diagram टेस्ट की आवश्यकता होती है। जहां आप इस जांच से यह पता लगा सकते हैं कि मनुष्य कितने तनाव में है या कितना स्वास्थ्य है। क्या ईसीजी का कोई दुष्प्रभाव होता है?आपके लिए यह एक बेहद ही महत्वपूर्ण जानकारी है जहां आपको बता दें कि आमतौर पर देखा गया है, कि आमतौर पर ईसीजी कराने से शरीर को कोई नुकसान नहीं होता है,लेकिन शरीर के जिन भागों में इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं, उसे निकालने के बाद वहां सूजन और चकत्ते पड़ सकते हैं। आपको बता दें कि यदि आप रोजाना इलेक्ट्रोड को नहीं निकालते हैं, तो फिर हॉल्टर मॉनिटर के कारण आपकी त्वचा में जलन हो सकती है। कुछ महत्वपूर्ण बातें जिसके कारण ईसीजी किया जाता है-दिल का दौरा पड़ना इसके दुष्परिणामों में यह देखा जाता है कि मरीजों को दिल का दौरा पड़ने से रक्त के प्रवाह में रुकावट होती है, जिसकी वजह से हृदय के टिशु में ऑक्सीजन की कमी और मृत्यु होने की भी ढेरों चांसेस होते हैं। दिल के आकार में कमी यह संकेत देता है कि दिल के वाल्व एक दूसरे से बड़े हैं साथ ही इससे यह भी पता चलता है कि हृदय रक्त पेप करने के लिए सामान्य से ज्यादा मेहनत कर रहा है। इलेक्ट्रोलाइट मैसेज लेना यह वैसे उपकरण होते हैं जो शरीर में चलते हैं जो हमारे हृदय की मांसपेशियों की लय को बरकरार रखता है। पोटेशियम कैल्शियम और मैग्नीशियम एक ऐसे इलेक्ट्रोलाइट है जिसकी जरूरत हमारे शरीर को होती है। दिल के रिदम में असमानताए यह बात सबको पता है कि दिल आमतौर पर एक बैलेंस रिदम में धड़कता है। अगर दिल आउट ऑफ बीट के सीक्वेंस में धड़कता है तो इस बदलाव को ईसीजी प्रकट कर सकता है। ईसीजी के लाभअक्सर लोगों के मन में यह धारणा बनी रहती है कि ईसीजी टेस्ट बहुत महंगा होता है। पर आपको बता दें कि ऐसा कुछ नहीं है, ना तो यह बहुत ज्यादा महंगा होता है, ना ही टेस्ट करवाते समय किसी तरह की कोई शारीरिक दर्द महसूस होती है। आप बहुत ही आसानी से लगभग 100 से ₹500 के अंदर इस टेस्ट को किसी भी हॉस्पिटल में करवा सकते हैं, तो इस तरह आपको हम बताने जा रहे हैं कि ईसीजी टेस्ट के क्या फायदे हैं:- दिल की इलेक्ट्रिक एक्सेस आपको शायद यह जानकारी नहीं होगी, पर बता दे कि, यह दिल के इलेक्ट्रिक एक्सेस का सही निर्धारण करने और दिल की विभिन्न समस्याओं के निदान में उपयोगी माना जाता है। हृदय की दर यह वह समय को दर्शाता है जिस अनुसार एक व्यक्ति का दिल प्रति मिनट धड़कता है। यह पुरुष के लिए नियमित रूप से दिल की दर 60 से 80 के बीच है।वहीं महिलाओं के लिए यह दर 70 और 90 के बीच होती है। दिल की जांच यह एक ऐसा परिश्रण होता है जिस माध्यम से आप दिल की समस्याओं का निदान आसानी से कर सकते हैं। यह आप आसानी से यह जांच कर सकते हैं कि आपका दिल स्वस्थ है कि नहीं , इस प्रक्रिया से आप अपने दिल की पूरी निगरानी कर सकते है।
तो दोस्तों, मुझे उम्मीद है, की ईसीजी फ़ुल फ़ॉर्म के बारे में यह अरतकले आपको ECG की पूरी जानकारी देता है। हेल्थ से जुड़ी बहुत सारी जानकारी के लिए आप WHO वेब्सायट पर विज़िट कर सकते है। Similar Full forms |
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What is the full form of EBRT ? |
Answer» EBRT stands for External Beam Radiation Therapy. |
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10. |
What is the full form of EDD (ईडीडी) ? |
Answer» EDD की full form Expected date of delivery या Expected due date और Due date है। डिलीवरी की अनुमानित तिथि या Expected due date एक शब्द है जो गर्भवती महिला के लिए अनुमानित या गणना की गई डिलीवरी की तारीख या समय का वर्णन करती है। EDD या Expected date of delivery नियत तारीख है जब डॉक्टर उस महिला के बच्चे की डिलीवरी का अनुमान लगाते हैं। आम तौर पर EDD 37 सप्ताह से 42 सप्ताह के बीच रहता है। EDD को Confinement date के रूप में भी जाना जाता है जहां Confinement पारंपरिक शब्द है जो गर्भावस्था की अवधि को संदर्भित करता है। EDD गणना के तरीकेEDD का अनुमान एक प्रक्रिया है और Expected date of delivery की गणना करने के लिए कई तरीके हैं। Expected due date की गणना दो चरणों में की जाती है –
EDD गणना के इस दो चरण में गर्भकालीन आयु, बच्चे के जन्म के समय गर्भावधि आयु का अनुमान आदि की गणना करना आवश्यक है। गर्भावधि उम्र का अनुमानगर्भावधि उम्र के आकलन की गणना करने के लिए कदम ये हैं –
बच्चे के जन्म में गर्भकालीन आयु का अनुमानप्रसव पर अनुमानित आयु आमतौर पर 40 सप्ताह या 280 दिन होती है और इसे अक्सर किसी भी गर्भधारण के लिए मानक अनुमान के रूप में उपयोग किया जाता है। EDD FAQs in HindiEDD की गणना कैसे की जाती है?निम्न प्रकार से EDD की गणना की जाती है –
EDD AUA क्या है?Expected due date LMP अंतिम मासिक धर्म की तारीख है और AUA वास्तविक अल्ट्रासाउंड तिथि है। EDD AUA डिलीवरी की नियत तारीख है जो सबसे हालिया अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट पर आधारित है। EDD LMP से आम तौर पर EDD AUA 1 से 8 दिन आगे होता है। कौन सा EDD अधिक सटीक है?सबसे सटीक Expected due date को माना जाता है जिसे आप पहले अल्ट्रासाउंड पर प्राप्त करते हैं। अल्ट्रासाउंड जो गर्भावस्था के पहले 12 सप्ताह में किए जाते हैं, वे आमतौर पर सटीकता के 3 से 5 दिनों के भीतर होते हैं। हालांकि ईडीडी का सबसे सटीक समय गर्भकाल के 8 से 11 सप्ताह के बीच माना जाता है। EDD बैंकिंग क्या है?बैंकिंग में EDD का Enhanced due diligence है, जो ग्राहकों या ग्राहक के लेन-देन की निगरानी और विश्लेषण करने के लिए एक प्रक्रिया है जो मनी लॉन्ड्रिंग के साथ-साथ उस विशेष संस्थान जैसे कि व्यवसाय के मालिक के लिए आतंकवादी वित्तपोषण का बड़ा जोखिम पैदा करता है। EDD डेबिट कार्ड क्या है?उन्नत देय परिश्रम या EDD प्रणाली, वीजा डेबिट कार्ड का उपयोग करके विकलांगता बीमा, बेरोजगारी बीमा और परिवार की छुट्टी के लिए लाभ भुगतान जारी करती है। ये ईडीडी डेबिट कार्ड लाभ भुगतान प्राप्त करने के लिए अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक तरीका है। इसी तरह की फुल फॉर्मडब्ल्यूएचओ फुल फॉर्म UN फुल फॉर्म |
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What is the full form of HIV(एचआईवी) ? |
Answer» HIV(एचआईवी) का फुल फॉर्म या मतलब Human immunodeficiency virus (ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस) होता है। एचआईवी एक ऐसा वायरस माना जाता है, जिसकी वजह से हमें एड्स हो सकता है। यह वायरस बहुत ही आसानी से एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकता है। यह वायरस आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बिल्कुल कम कर देता है, और आपका शरीर तरह-तरह की बीमारियों से परेशान हो जाता है। मुख्य रूप से देखा जाए तो एचआईवी और सुरक्षित यौन संबंध, दूषित रक्त संक्रमण और गर्भावस्था या स्तनपान के कारण फैलता है। पर आप में से कई लोग ऐसे होते हैं जो एचआईवी औरAIDS को एक जैसा समझते हैं। ऐसा कुछ नहीं है, आपको बता दें कि एचआईवी वायरस रूप की तरह होता है जबकि AiDs एचआईवी संक्रमण के बाद सिंड्रोम के रूप में प्रकट होता है। यदि कोई व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित है, तो यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं कि उसे ऐड्स हुआ है। क्योंकि एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति प्रॉपर मेडिकेशन को फॉलो कर सामान्य जीवन बिता सकते हैं, लेकिन हर एड्स से पीड़ित व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित होता है, क्योंकि AIDS, HIV के कारण ही आगे चलकर हो जाता है। एचआईवी(HIV) किस कारण से होता है?आज जिस तरह का दौर चल रहा है, उसमें ऐड्स एक गंभीर समस्या मानी जाती है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि लोगों में जागरूकता का अभाव है, जिसकी वजह से अभी भी एचआईवी के कई मामले सामने आते रहते हैं। आपको बता दें कि एचआईवी वायरस होने के 8 से 10 साल बाद आपके अंदर एड्स के लक्षण नजर आने लगते हैं, तो इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं कि किन कारणों से एचआईवी वायरस मानव के शरीर में फैलती है।
एचआईवी(HIV) के सामान्य लक्षण
एचआईवी(HIV) के चरणएचआईवी के तीन चरण पाए जाते हैं, जो कि हर किसी के लिए जानना काफी महत्वपूर्ण है:- #1. Acute HIV infection यह एचआईवी का पहला चरण माना जाता है। जहां आपको बता दें कि इस बीमारी के लक्षण संक्रमण के तुरंत बाद प्रकट नहीं होते हैं। इसलिए जो भी लोग इस वायरस से संक्रमित होते हैं उन्हें तुरंत पता नहीं चलता है। बताया जाता है कि इसके शुरुआती लक्षणों को जानने के लिए लगभग 2 से 4 सप्ताह लग जाते हैं। #2. Chronic HIV infection आपको यह बता दे कि एचआईवी के दूसरे चरण में यह वायरस शरीर को रिप्लिकेटिंग करना शुरू कर देता है, जो धीरे-धीरे मानव की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है। इसलिए यह बताया जाता है कि दूसरों को संक्रमित करने से पहले एचआईवी के लिए जल्दी परीक्षण करवाना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। #3. advanced infection तीसरा और आख़िरी चरण माना जाने वाला एचआईवी इनफेक्शन आपकी cd4 T- सेल कि संख्या 200 के नीचे चली जाती है और आप की प्रतिरक्षा पूरी तरह से इस स्थिति में कमजोर हो जाती है। इस वजह से यह देखा जाता है कि आप अवसरवादी संक्रमण के लिए अधिक संक्रमित हो जाते हैं। एचआईवी का इलाजएचआईवी का अभी तक कोई इलाज नहीं है सही जानकारी के साथ इससे बचाव किया जा सकता है इस बीमारी का इलाज नहीं किया जा सकता एचआईवी बीमारी का अभी तक कोई टीका भी नहीं है इसलिए जरूरी है कि लोग सही जानकारी के साथ इस बीमारी से बचें एचआईवी का जाँचआमतौर पर यह देखा जाता है कि इस बीमारी की उपस्थिति के परीक्षण करने का कोई उचित तरीका नहीं है, क्योंकि एचआईवी बहुत ही छोटा है और इसे रक्त से अलग नहीं किया जा सकता है। आपको बता दें कि इस बीमारी के निदान के लिए दुनिया के विभिन्न हिस्सों में इस्तेमाल की जाने वाले विभिन्न प्रक्रियाएं शामिल है। जिसमें ELiSA test , western bolt test, saliva test और viral load test शामिल है। इस बात का ध्यान रहे कि एचआईवी के परीक्षण के दौरान कुछ जटिलताएं भी सामने आ सकती है इसलिए हमेशा सावधानी से हर टेस्ट के लिए कदम बढ़ाए। एचआईवी का रोकथामअभी तक ऐसी कोई भी वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो पाया गया है जो एचआईवी संक्रमण को रोक सके या उन लोगों का पूरी तरह से इलाज कर सकें, जिन्हें यह संक्रमण है। वही आपके लिए यह जानना बहुत ही जरूरी है कि आप पूरी तरह से एचआईवी के जोखिम को कम नहीं कर सकते हैं पर हम आपको कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिसके माध्यम से आप कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरत सकते हैं। #1. अपने यौन साथी की संख्या को सीमित रखें, केवल एक साथी के साथ यौन संबंध बनाए जो केवल आपके साथ सेक्स करे। #2. यदि आपको एच आइ वी है तो निर्देश अनुसार अपनी दवाई ले और अपने यौन साथी को इसे प्रसारित करने के जोखिम को कम करें। #3. पहले से ही इस्तेमाल की गई इंजेक्शन का उपयोग ना करें। #4. अपनी और अपनी साथी की स्थिति जानने के लिए एचआईवी के लिए परीक्षण करें। #5. Condom का उपयोग करने का सही तरीका जाने और उसका उपयोग हर बार करें जब आप यौन संबंध बना रहे हैं।
तो दोस्तों मुझे उम्मीद है कि एचआईवी(HIV) फुल फॉर्म के बारे में आर्टिकल आपको पूरी जानकारी दे पाया। अगर आप इस आर्टिकल को इंग्लिश में पढ़ना चाहिए तो फुल फॉर्म डॉट वेबसाइट पर विज़िट कर सकते हैं। एचआईवी के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए आप डब्ल्यूएचओ के वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं। Related Full Form ECG Full Form in Hindi RBC Full form in Hindi
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What is the full form of ENT(ईएनटी) ? |
Answer» ENT(ईएनटी) का मतलब या फुल फॉर्म Ear Nose Throat(इयर नोज थ्रोट) कान नाक गला होता है। हम ENT(Ear nose throat) को कान नाक गला के नाम से भी जानते हैं। आपको बता दें कि यह एक तरह की otolaryngology चिकित्सा की शाखा मानी जाती है, जिसके तहत आप आसानी से अपने कान, नाक और गले के विकारों के पहचान और उपचार करा सकते हैं। आपको जानकारी के लिए यह बता दे, कि एक ENT- Ear nose throat का डॉक्टर विभिन्न बीमारियों का इलाज करता है, जिनमें से कानों में संक्रमण, चक्कर आना, टॉन्सिल्स और अन्य तरह की समस्याएं शामिल है। इस तरह की चिकित्सा एक ऐसा क्षेत्र माना जाता है जो कान, नाक और शरीर के कुछ हिस्सों से निपटता है।
सिर और गर्दन की सर्जरी को हमेशा विशेष माना जाता है जिन भी लोगों को कान, नाक और गले से संबंधित कोई बीमारी है तो आप otolaryngologist से सलाह ले सकते हैं,जो आपको सही सलाह देकर आप की बीमारी का निदान करते हैं। एक डॉक्टर e.n.t. के तहत इन विभिन्न बीमारियों का इलाज करते हैं #1. निगलने में कठिनाई #2. फिवर जैसी एलर्जी #3. कान के विकार और कान के संक्रमण #4. भाषण विकार जैसे स्वर बैठना और स्वरयंत्र शोध #5. कान, नाक और मुंह में ट्यूमर #6. किसी तरह की जन्मजात तरह की समस्याएं
अस्पतालों में अलग ईएनटी(ENT) विभाग की क्या आवश्यकता है?हर अस्पताल में एक अलग e.n.t. का डिपार्टमेंट होता है, जिसकी सबसे खास और मुख्य वजह है कि डॉक्टर इस तरह की बीमारियों का विशेष रूप से इलाज कर सकें। जहां आपको ENT- Ear nose throat मे तरह- तरह की सुविधाएं प्राप्त होती है। जैसे कि ओपीडी, चक्कर की जांच, वाक चिकित्सा,इत्यादि यह सारी चीजें एक रोगी की शारीरिक गतिविधियों के पहचान के लिए किया जाता है, ताकि उसके लक्षण का सही तरह से इलाज किया जा सके। आपको यह जानकारी दे दे कि हर अस्पताल में ईएनटी का एक अलग से भाग होता है, जिसमें काफी अच्छे डॉक्टर से होते हैं। इसमें एक ईएनटी सर्जन होते हैं जो नवजात शिशु से लेकर बुजुर्ग लोगों तक सभी उम्र के लोगों का इलाज कर सकते है। ENT सर्जन अक्सर ऐसी स्थितियों का इलाज करते हैं, जो इद्रीय को प्रभावित करती है। ऐसी स्थिति का इलाज करने में यह अहम साबित होते हैं।
ईएनटी (ENT) के तहत शरीर के भाग1. कान इस माध्यम से आपमें यह देखा जाता है कि आपको सुनने से संबंधित कोई बीमारी तो नहीं है….. आपको यहां पर कान की समस्या का पूर्ण उपचार मिलता है जैसे कि आपको बता दें कि कान में संक्रमण, कान का शोर, संतुलन विकार इत्यादि का उपचारित के तहत संभव है। आंतरिक और बाहरी दोनों रूप से आप इन अंगो का इलाज करा सकते हैं। कान की स्थितियों में शामिल है:- * उम्र से संबंधित सुनवाई हानि * कान फोडना * कान के संक्रमण * चक्कर आना * छिद्रित कान ड्रम * बचपन की कोई सामान्य स्थिति * टिनिटस 2. नाक ज्यादातर लोगों के लिए यह विषय जाना इसलिए बेहद जरूरी है क्योंकि हमारी आधी आबादी साइनसीसीस विकार से ग्रसित है, जो दिन प्रतिदिन एक प्रमुख मुद्दा बनता जा रहा है। जहां आपको ईएनटी के तहत सही उपचार प्राप्त होगा और आप आसानी से अपने परेशानियों का निवारण कर सकते हैं। नाक की स्थितियों में शामिल है:- * नाक में चोट * नाक का ट्यूमर *बच्चों में गंध की भावना के विकार *नासिका संबंध अवरोध 3. गला यह हमारे लिए बेहद आवश्यक माना जाता है, जिसकी मदद से हमे सांस लेने में या किसी चीज को निगलने में आसानी महसूस करते हैं। यदि आपको इससे जुड़ी कुछ समस्या है तो आपका ईएमटी के तहत पूर्ण उपचार किया जाएगा। गले की स्थितियों में शामिल है:- * स्वर बैठना * निगलने की समस्या * सांस लेने में तकलीफ होना * नींद के दौरान सांस का रुकना * टॉन्सिल तो दोस्तों मुझे उम्मीद है कि यह आर्टिकल ईएनटी के फुल फॉर्म के बारे में आपको सही जानकारी देता है। आप स्वास्थ्य संबंधी बहुत सारी जानकारी के लिए डब्ल्यूएचओ के वेबसाइट पर भी विजिट कर सकते हैं। Similar Full Form ECG full Form in Hindi |
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What is the full form of ICU(आईसीयू) ? |
Answer» ICU(आईसीयू) का मतलब या फ़ुल फ़ॉर्म इंटेंसिव केयर यूनिट (Intensive Care Unit) होता है। प्रत्येक हॉस्पिटल में आईसीयू की सुविधा होती है। आपको बता दें कि आईसीयू एक एक अलग तरह का विभाग होता है, जो किसी भी मरीज को इंटेंसिव ट्रीटमेंट मेडिसिन प्रोवाइड कराने का काम करता है। आईसीयू एक गंभीर चोट, बीमारी या बीमारी से पीड़ित रोगियों की देखभाल करने में काफी उपयोगी होता है। यह आमतौर पर हम देखते हैं कि यदि रोगी की स्थिति लगातार बिगड़ती ही जा रही है, तो उसे आईसीयू चिकित्सा के लिए सुसज्जित किया जाता है। हर अस्पताल में लगभग 20 से 30% तक का आईसीयू बेड होता है।
अगर किसी व्यक्ति को कोई बड़ा ऑपरेशन या सर्जरी कराना है, तो डॉक्टर के परामर्श से उसे आईसीयू वार्ड में रखा जाता है। आईसीयू अस्पताल का एक ऐसा वार्ड होता है, जिसमें मरीज की बहुत ही अच्छे तरीके से देखभाल की जाती है, जिनमें मरीजों को सभी सुविधाएं प्रदान की जाती है ताकि उनके बिगड़े स्वास्थ्य में जितना जल्दी हो सके सुधारा जाए। जब किसी व्यक्ति कि किडनी फेल हो जाए या कोई ऐसी गंभीर समस्या हो जाए, जिसमें उसके शरीर का महत्वपूर्ण अंग काम करना बंद कर दे, तो ऐसे में उस मरीज को आईसीयू में रखा जाता है। आईसीयू के लिए आवश्यक उपकरणों की सूचीआईसीयू में मरीजों को किसी तरह से परेशानी ना हो इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण उपकरण रखे जाते हैं, ताकि हर तरह से रोगी की सहायता की जा सके। आईसीयू में सभी उपकरण काफी जरूरी साबित होते हैं। #1. Ventilator यह मशीन का उपयोग कब किया जाता है, जब किसी मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो रही हो या जब मरीज सांस लेने लायक भी नहीं होता है, तब यह काफी प्रभावशाली माना जाता है। मरीज के शरीर में खाना पहुंचाने के लिए इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही पेशेंट के शरीर से खाना निकालने के लिए भी यह तरीका काफी उपयोगी साबित होता है। #3. ECG box यह एक ऐसा साधारण उपकरण माना जाता है कि डॉक्टर को बहुत ही आसानी से आईसीयू में पेशेंट के रोगों के बारे में 1 से ज्यादा जानकारी मिल जाता है। #4. Dialysis यह उपकरण का उपयोग मरीज की बॉडी से ब्लड निकाल कर उसे साफ करके पुनः उसको शरीर में प्रविष्ट करने की प्रक्रिया को कहा जाता है। #5. Pulse oximeter यदि जब डॉक्टर को मरीज के शरीर में ऑक्सीजन का लेवल मापना होता है, तो इस उपकरण का उपयोग किया जाता है। आपको बता दें कि इस मशीन को मरीज की उंगलियों में लगाया जाता है। आईसीयू(ICU)ICU की ज़रूरत किन बीमारियों के दौरान होती है?
यह सभी कारण काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं, जो पूरी तरह से रोगी के बचने की संभावना में भारी सुधार कर सकता है।
* फेफड़े के रोगों का सामना करने वाले रोगी वैसे मरीज जिनके फेफड़े में चोट या संक्रमण के कारण सूजन हो जाती है, और जिन्हें सांस लेने में मुश्किलें आ रही है। वैसे मरीजों के लिए आईसीयू में वेंटिलेशन सपोर्ट रखा जाता है। इन जैसी स्थितियों में यह काफी महत्वपूर्ण होता है कि रोगी को वेंटिलेटर की मदद से सांस लेने में सहायता प्रदान की जाए। * कार्डियक प्रॉब्लम के मरीज इस श्रेणी में वह लोग आते हैं जो कि उच्च रक्तचाप से पीड़ित है, या जीन्हे अभी दिल का दौरा पड़ा है। इन्हें आईसीयू में अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। इससे भी महत्वपूर्ण यह हो जाता है कि इन गंभीर रोगियों को आईसीयू में भर्ती किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रोगी के स्वास्थ्य के साथ गलत काम हो सकता है। * गंभीर संक्रमण वाले रोगी देखा जाए तो इन रोगियों को आमतौर पर आईसीयू के देखभाल की आवश्यकता होती है, जिन रोगियों को गंभीर वायरस संक्रमण का सामना करना पड़ा है। उन्हें अक्सर गहन देखभाल के लिए आईसीयू में भर्ती कराया जाता है। यह वायरल संक्रमण हो सकते हैं, या नहीं भी हो सकते हैं, लेकिन प्राथमिकता के तौर पर आईसीयू में इसका इलाज किया जाना चाहिए। क्या आईसीयू गम्भीर होता है? देखा जाए तो यह गंभीर है, क्योंकि यह उन लोगों के लिए काफी उपयोगी होता है, जिन्हें गंभीर देखभाल की आवश्यकता होती है। जिन पर निरंतर निगरानी रखी जाती है। कभी-कभी एहतियात के तौर पर मरीजों को आईसीयू में भर्ती किया जाता है। एक आईसीयू में सबसे महत्वपूर्ण बात रोगी के लिए नर्स की हमेशा उपलब्धता रहती है। जो मरीज़ की अच्छे से देखभाल कर सकती है। चुकी i.c.u. बीमार रोगियों के साथ घनिष्ठ वातावरण है इसलिए संक्रमण एक डरावनी चीज होती है। वही आपको जानकारी दे दे कि आईसीयू के गंभीर होने की एक बड़ी वजह है कि यह रोगी की हालत को गंभीर से सामान्य तक लाता है। रोगी को करीब से अवलोकन और अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। खासकर जिनकी हालत बहुत नाजुक हो।
तो दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आईसीयू फुल फॉर्म के बारे में यह आर्टिकल आपको सही जानकारी दे पाया अगर आप यह full form of ICU आर्टिकल इंग्लिश में पढ़ना चाहिए तो FULL FORM WEBSITE पर विजिट करें स्वास्थ्य से जुड़ी बहुत सारी जानकारी के लिए आप डब्ल्यूएचओ के वेबसाइट पर भी विजिट कर सकते हैं |
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What is the full form of MC (एमसी) ? |
Answer» MC (एमसी) का मतलब या फुल फॉर्म Menstrual Cycle (मेंस्ट्रूअल साइकिल) मासिक धर्म चक्र होता है। मेंस्ट्रूअल साइकिल महिलाओं के रिप्रोडक्टिव सिस्टम में होने वाले जरुरी बदलाव के साइकिल को कहते है। यह साइकिल किसी भी महिला में होना जरूरी है, तभी वह बच्चे को पैदा कर पाएगी।
जैसे ही किसी लड़की की उम्र 12 साल से 15 साल होती है, उसे एमसी यानी मेंस्ट्रूअल साइकिल होना शुरू हो जाता है। लड़कियों में 12 साल या 15 साल के बाद शुरू होने वाले इस बदलाव की अवस्था को मिनार्च कहते हैं। और यह साइकिल महिलाओं में उनकी मानसिक और शारीरिक क्षमता के अनुसार 45 से 50 साल तक की उम्र तक, हर महीने चलती रहती है। मेंस्ट्रूअल साइकिल आमतौर पर 42614">28 दिन में पूरा होता है, लेकिन कुछ महिलाओं में यह 42614">28 से 32 दिन का भी हो सकता है, जो फीमेल के खान-पान और रहन-सहन पर भी निर्भर करती हैं। फीमेल में एमसी की शुरुआत के साथ ही उनमें बहुत सारे जरुरी शारीरिक बदलाव होते हैं, जैसे स्तन का बड़ा होना आवाज में पतलापन आना आदि। MC (एमसी)- मासिक धर्म चक्र के 4 चरणमहिलाओं में मासिक धर्म चक्र के चार चरण हैं, जो इस प्रकार है-
Menstruation मासिक धर्म (खून बह रहा चरण) –महिलाओं में होने वाले मेंस्ट्रूअल साइकिल के चार चरण होते हैं, जो निम्न है- मेंस्ट्रूअल फेज मेंस्ट्रूअल साइकिल का पहला चरण होता है, आमतौर पर यह 4 से 7 दिनों का होता है, और यह, वह चरण होता है, जब महिलाओं का पीरियड होता है। यदि कोई महिला गर्भवती नहीं है, तो केवल मासिक धर्म का यह चरण होता है। इस चरण के दौरान महिला के पिछले साइकल के दौरान बने अंडे जो फर्टिलाइज नहीं हो पाए, शरीर से बाहर निकलना शुरू हो जाता है। गर्भाशय की मोटी परत जो गर्भधारण करने में मदद करती अब उसकी जरूरत नहीं रह गई, तो वह योनि के रास्ते बाहर निकल जाती है। मासिक धर्म के इस अवस्था के दौरान महिलाओं के गर्भाशय से रक्त, बलगम और उत्तक का संजोग निकलता रहता है। इसीलिए कई बार इस चरण को ब्लीडिंग फ़ेज़ भी कहा जाता है। फॉलिक्युलर फेज-मेंस्ट्रूअल फेज खत्म होने के बाद फॉलिक्युलर फेज शुरू होता है। इस फेज के दौरान अंडाशय में पुनः अंडे का निर्माण शुरू हो जाता है। फॉलिक्युलर फेज लगभग 8 दिनों का होता है, और आमतौर पर मेंस्ट्रूअल साइकिल के छठे से 14 वे दिन तक चलता है। इस दौरान महिला के अंडाशय में बहुत सारे अंडे तैयार होते हैं, जिसमें से सबसे स्वास्थ्य एक अंडा बच जाता है, और बाकी सब शरीर के द्वारा सोख लिया जाता है। ओवुलेशन फेज-आमतौर पर यह चरण 14 वे दिन के बाद शुरू होता है, इस फेज के दौरान एक स्वस्थ्य अंडा अंडाशय से निकलकर फॉलोपियन ट्यूब मैं आ जाता । फॉलोपियन ट्यूब वह जगह होता है, जहां अंडे का मिलन स्पर्म से होता है.। फॉलोपियन ट्यूब में अगर स्पर्म स्पर्म मौजूद होता है, तो अंडे और स्पर्म के मिलन से प्रेग्नेंसी की प्रक्रिया शुरू हो जाती है.। और अगर फॉलोपियन ट्यूब में स्पर्म मौजूद नहीं होता है, तो अंडा 24 घंटे के बाद मर जाता है, या dissolve हो जाता है.। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि फॉलोपियन ट्यूब में स्पर्म 5 दिनों तक जिंदा रह सकता है,। तो अगर अंडा के फॉलोपियन ट्यूब में आने से पांच दिन पहले भी महिला ने शारीरिक सम्बन्ध बनाये है, तो भी प्रेग्नेंसी की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। लुटील फेज-लुटील फेज लगभग दिनों का होता है, और 14वे दिन से शुरू हो जाता है (अगर साइकल 42614">28 का है ) यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है की लुटील फेज तभी आता है अगर महिला प्रेग्नेंट नहीं होती है। इस अवस्था में कॉर्पस ल्यूटियम, जो कूप के अवशेष हैं, टूट जाते हैं। जिसके कारण गर्भाशय मैं बनी मोटी परत विघटित होने लगती है, और पीरियड का कारण बनती है।
कुछ कारण जिसके कारण मासिक धर्म चक्र बदल सकते हैं
सभी महिलाओ को अपने मेंस्ट्रूअल साइकिल को अच्छे से समकझना चाहिए, क्योंकि मेंस्ट्रूअल साइकिल को समझकर एक महिला गर्भवती होने या ना होने की प्रक्रिया को बहुत आसान बना सकती हैं। डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट से अधिक जानकारी प्राप्त की जा सकती है। Similar full 4">forms- BMI full form in Hindi
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What is the full form of MBBS(एमबीबीएस) ? |
Answer» MBBS(एमबीबीएस) का मतलब या फुल फॉर्म बैचलर ऑफ मेडिसिन बैचलर ऑफ सर्जरी (Bachelor of Medicine & Bachelor of Surgery) होता है। यह एक ऐसा प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण कोर्स है, जिसके बाद आप डॉक्टरेट प्राप्त करते हैं, और आप किसी भी प्रकार के रोगी को देखने और उसका इलाज करने के लिए अधिकृत हैं। एक डॉक्टर की मुख्य भूमिका मानव शरीर के स्वास्थ्य को बनाए रखने और होने वाली बीमारियों का इलाज करना है।
पूरी दुनिया में डॉक्टरों को बहुत इज्जत दिया जाता है, और अभी हाल में ही कोविड-19– कोरोनावायरस बीमारी को लड़ने में डॉक्टरों ने अपना जिस तरह योगदान दिया, उसकी सराहना दुनिया के हर इंसान ने की है। तो अगर आप की भी इच्छा एक ऐसे कैरियर को चुनने की है जहां आप लोगों की सेवा भी कर सके और अच्छा पैसा भी कमा सकें तो आपको एमबीबीएस कोर्स करना चाहि। MBBS (एमबीबीएस) कोर्स के लिए पात्रताभारत में एमबीबीएस कोर्स में दाखिला के लिए बायोलॉजी सब्जेक्ट के साथ ट्वेल्थ पास होना जरूरी है। MBBS (एमबीबीएस) कोर्स ऐडमिशन प्रोसीजरभारत में एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करना होता है। नीट के अलावे जिप्मर और एम्स दो और एंट्रेंस एग्जाम होते हैं। जो छात्र नीट प्रवेश प्रक्रिया में अच्छा करते हैं, वह काउंसलिंग के लिए बुलाया जाते हैं, और काउंसलिंग प्रक्रिया के द्वारा इंडिया के प्राइवेट और सरकारी मेडिकल कॉलेजेस में एडमिशन मिलता है। भारत में लगभग 100000 मेडिकल सीट है जिसके लिए हर साल 1500000 से ज्यादा स्टूडेंट्स नीट एग्जाम लिखते हैं। एमबीबीएस कोर्स ड्यूरेशनभारत में एमबीबीएस कोर्स का ड्यूरेशन साडे 5 साल का होता है जिसमें साडे 4 साल प्रैक्टिकल और थियोरेटिकल पढ़ाई कराई जाती है और 1 साल का इंटर्नशिप कराया जाता है। एमबीबीएस कोर्स ट्यूशन फीसभारत में एमबीबीएस कोर्स की ट्यूशन फीस में सरकारी कॉलेज और प्राइवेट कॉलेज बहुत बड़ा अन्तर है सरकारी कॉलेज का ट्यूशन फीस 20000 पर ईयर से लेकर 50000 पर ईयर तक हो सकता है वहीं प्राइवेट कॉलेजेस का ट्यूशन फीस 1000000 सालाना से लेकर 2500000 सालाना तक हो सकती है एमबीबीएस कोर्स करने के बाद कैरियर विकल्पएमबीबीएस कोर्स करने के बाद बहुत सारे कैरियर अपॉर्चुनिटी स्टूडेंट्स के पास होती हैं। जो लोग भी एमबीबीएस कोर्स करने के बाद नौकरी के लिए जाते हैं, उनको शुरुआती सैलरी 50000 से ₹100000 पर मंथ के बीच आसानी से मिल जाती है। बहुत सारे स्टूडेंट अपना खुद का क्लीनिक भी शुरू करते हैं, और वहां भी, हर महीने अच्छा पैसा कमा पाते हैं।
कुछ प्रमुख फील्ड जहां एमबीबीएस छात्रों को नौकरी मिल सकती है
महत्वपूर्ण भूमिकाएं जो एक MBBS डॉक्टर के रूप में आप निभा सकते हैं
वहीं कुछ छात्र हायर एजुकेशन के लिए भी जाना पसंद करते हैं और किसी भी फील्ड में स्पेशलाइजेशन प्राप्त करते हैं। यहां आपको बता दें कि एमबीबीएस कोर्स करने के बाद आप एक जनरल डॉक्टर बनते हैं, जो सभी तरह की बीमारियों को देख सकता है, और इलाज कर सकता है, लेकिन आपको किसी फील्ड का स्पेशलाइजेशन प्राप्त नहीं होता है, इसके लिए आपको आगे मास्टर कोर्स करना होता है। एमबीबीएस कोर्स करने के बाद हायर एजुकेशन के विकल्प-
भारत के कुछ शीर्ष मेडिकल कॉलेजों की सूची-
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What is the full form of OPD(ओपीडी) ? |
Answer» OPD(ओपीडी) का मतलब या फुल फॉर्म Out Patient Department(आउट पेशेंट डिपार्टमेंट)होता है। आपने यह देखा होगा कि हर अस्पताल में ओपीडी का एक अलग विभाग होता है,जो रोगी और अस्पताल के कर्मचारियों के बीच में संपर्क की पहली स्थिति मानी जाती है। कोई भी मरीज सबसे पहले अस्पताल में प्रवेश करता है तो उसे OPD (Out patient ent-239868">department) डिपार्टमेंट में लेकर जाया जाता है। फिर उस पेशेंट की स्थिति के अनुसार ओपीडी का कर्मचारी तय करता है कि मरीज को किस विभाग में जाना चाहिए। एक अस्पताल का ओपीडी विभाग हड्डी रोग विभाग, न्यूरोलॉजी विभाग, स्त्री रोग विभाग शामिल होता है। अगर यहां से मरीज की हालत में सुधार नहीं देखा जाता है, तो उसे आईसीयू में शिफ्ट किया जाता है। आप अक्सर देख सकते हैं कि, हर अस्पताल में ओपीडी विभाग को ग्राउंड फ्लोर पर ही बनाया जाता है, ताकि मरीज़ों को सुबिधा हो सके। इसके लिए यह बेहद जरूरी है कि एक ओपीडी कर्मचारी काफी कुशल होना चाहिए, क्योंकि यह विभाग अस्पताल के कार्यों के दर्पण के रूप में कार्य करता है। हम अगर आसान शब्दों में इसकी व्याख्या करें तो जब कोई व्यक्ति हॉस्पिटल में डॉक्टर से इलाज करवाने जाता है, लेकिन वह डॉक्टर से कंसल्ट कर के वापस आ जाता है उस प्रक्रिया को ओपीडी कहते हैं। मुख्य रूप से देखा जाए तो यह अस्पताल का वह विभाग होता है, जहां किसी भी रोगियों को चिकित्सीय परामर्श और अन्य सेवाए आसानी से प्राप्त हो जाती है। ओपीडी(OPD) कितना महत्वपूर्ण है?ओपीडी मरीज़ों के लिए काफी महत्वपूर्ण और मददगार साबित होता है। ओपीडी में पेशेंट के आने के बाद ही यह डिसीजन लिया जाता है, कि पेशेंट की हालत कैसी है और उसे भर्ती करना है, या ओपीडी के इलाज के बाद ही पेशेंट को घर जाने देना है। यहां पर जो मरीज सबसे ज्यादा सीरियस है, उन्हें आगे की प्रक्रिया या इलाज के लिए भेजा जाता है। किसी भी अस्पताल में कितने मरीजों का इलाज किया जा सकता है, इसकी एक सीमा होती है देखा जाए तो ओपीडी एक वैकल्पिक व्यक्तिगत चिकित्सा की तरह है, जो अस्पताल की वातावरण में स्वच्छता का माहौल लाता है। ओपीडी(OPD) और आईपीडी(IPD) में क्या अंतर है?आपको हम यह पहले भी जानकारी दे चुके हैं कि ओपीडी OPD (Out patient ent-239868">department) होता है, जहां उन रोगियों का इलाज किया जाता है, जिन्हें केवल एक डॉक्टर विशेषज्ञ के साथ परामर्श की आवश्यकता होती है। पर वही आपको बता दें कि आईपीडी(IPD) अस्पताल केवल उन क्षेत्रों को संदर्भित करता है, जहां मरीजों को भर्ती करने के बाद डॉक्टर विशेषज्ञ के आधार पर उनकी चिकित्सा की स्थिति को तय किया जाता है। स्वास्थ्य समस्याएं वाले लोगों लोग जो निदान एवं उपचार के लिए अस्पताल जाते हैं, लेकिन उन्हें कहीं से भी भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है या उन्हें अस्पताल में रहने की भी जरूरत नहीं होती है वे OPD में जाते है। पर वही देखा जाए तो आईपीडी इमें वे मरीज़ जाते है, जिन्हें गंभीर चिकित्सा समस्याओं के कारण भर्ती होना पड़ता है, और अस्पताल में रहना पड़ता है। दरअसल आईपीडी(IPD) के तहत जो भी मरीज होते हैं, उन्हें गंभीर बीमारी के कारण अस्पताल में रहने की इजाजत दी जाती है।
स्वास्थ्य से जुड़ी बहुत सारी जानकारी के लिए आप डब्ल्यूएचओ के वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं Similar Full forms- ENT Full Form in Hindi
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What is the full form of OCD ? |
Answer» Obsessive-Compulsive Disorder |
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What is the full form of YOGA(योगा) ? |
Answer» योगा(YOGA) एक संस्कृत शब्द युग (YUG) से आया है, जिसका अर्थ है संघ(Union)। योग का अर्थ शरीर, मन और आत्मा का सही संतुलन बनाने के लिए आसन है। योग केवल एक आसन या व्यायाम नहीं है, यह एक पूर्ण विज्ञान है जिसका भारतीय लोग सदियों से उपयोग कर रहे हैं। आप अनुमान लगा सकते हैं कि योग कितना पुराना है, इसका उल्लेख योग के ऋग्वेद में मिलता है। वास्तव में योग क्या है?जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, योग एक पूर्ण विज्ञान है जो आज लोगों को स्वस्थ होने में मदद कर रहा है। आज के डिजिटल जीवन में, जब लोग बहुत तनाव में हैं, और हर दिन उनके स्वास्थ्य में गिरावट आ रही है, योग उनकी बहुत मदद कर रहा है। योग करने से न केवल आप कई बीमारियों को दूर रख सकते हैं, बल्कि आप कई बीमारियों का इलाज भी कर सकते हैं।
योग आज इतना प्रचलित हो गया है कि भारत में ही नहीं, दुनिया भर में लोग योग सीख रहे हैं और कर रहे हैं। पाठ्यक्रम के रूप में योगा(YOGA)आज योग करने वालों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि, योग सिखाने के लिए प्रशिक्षक की बहुत आवश्यकता थी, इसके साथ ही योग के कई पाठ्यक्रम कई स्तरों पर आ गए हैं। कुछ योग पाठ्यक्रम हैं- योगा में masters योग में बी.एड.
दोस्तों, मुझे आशा है कि मैंने आपको योगा के बारे में बुनियादी लेकिन महत्वपूर्ण जानकारी दी है। यदि आपके पास हमारी ओर से कोई सुझाव या प्रश्न हैं, तो आप हमारे निर्यात से पूछ सकते हैं। संबंधित महत्वपूर्ण पूर्ण फ़ॉर्म- एबीजी फ़ुल फ़ॉर्म – धमनी रक्त गैस |
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What is the full form of PHC (पीएचसी) ? |
Answer» PHC (पीएचसी) का फुल फॉर्म क्या मतलब Primary Health Centre (प्राइमरी हेल्थ सेंटर) होता है PHC का full form Primary Health centre है जिसे Public Health centre भी कहा जाता है। ये Primary Health centre भारत में ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए राज्य सरकारों के स्वामित्व में हैं क्योंकि गाँव के क्षेत्र में पर्याप्त Primary Health Care सुविधाएँ नहीं हैं जो भारतीय जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा है। ये Public Health centre भारत में सरकारी वित्त पोषित सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों का हिस्सा हैं। ये सरकार के स्वामित्व और वित्त पोषित PHC सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की सबसे बुनियादी इकाई है। वर्तमान में भारत में 20000 से अधिक Public Health centre हैं। ये PHCs सिंगल फिजिकल क्लीनिक हैं जो सामान्य रूप से मामूली सर्जरी की सुविधा प्रदान करते हैं। PHC ka फोकसभारत में Public Health centre मुख्य रूप से नियमित चिकित्सा उपचार पर केंद्रित हैं। ये भारत में PHCs के कुछ प्रमुख सांद्रता हैं – जन्म नियंत्रण कार्यक्रम PHCs राष्ट्रीय जन्म नियंत्रण कार्यक्रम के तहत सेवाओं को फैलाने और नसबंदी सर्जरी जैसे कि ट्यूबेक्टॉमी और पुरुष नसबंदी को संचालित करने के लिए जिम्मेदार हैं। PHC द्वारा इन सेवाओं को पूरी तरह से सब्सिडी दी जाती है। शिशु टीकाकरण कार्यक्रम PHC द्वारा शिशु टीकाकरण सेवा भी पूरी तरह से सब्सिडी है। राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत PHC नए-जन्मे बच्चों का टीकाकरण करता है। गर्भावस्था और संबंधित देखभाल PHC प्रमुख रूप से ग्रामीण भारत में गर्भावस्था और शिशु जन्म चिकित्सा देखभाल पर केंद्रित है। इसका कारण यह है कि ग्रामीण भारत में लोग गर्भावस्था की देखभाल के लिए डॉक्टरों से संपर्क करने से अनजान हैं। इसके परिणामस्वरूप नवजात की मृत्यु हो सकती है। महामारी से बचाव के लिए कार्यक्रम PHC प्राथमिक महामारी निदान और नियंत्रण केंद्र के रूप में कार्य करता है। जब भी कोई स्थानीय महामारी बाहर निकलती है, तो PHC डॉक्टरों को निदान के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। Emergency Public Health centre अक्सर मेडिकल इमरजेंसी के लिए रेबीज टीकाकरण आदि दवाओं का भंडारण करते हैं क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में ऐसी आपात स्थिति आम है। PHC फ़ंक्शनभारत सरकार ने देश में PHC के माध्यम से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के विस्तार का प्रयास किया। ये PHC Alma-Ata घोषणा में उल्लिखित Primary Health Care के आठ तत्वों पर काम करती हैं। यहाँ ये आठ तत्व या PHC के कार्य हैं –
PHC FAQCHS और PHC क्या है?PHC का मतलब Primary Health centre है जबकि CHS सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए है जो कि हर चार PHCs के लिए एक रेफरल केंद्र है जिसमें 80000 की आबादी 1 लाख से अधिक है। PHC अस्पताल क्या है?PHC अस्पताल आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं और उत्पाद प्रदान कर रहे हैं जो बीमारी को रोकने और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, बीमारी का प्रबंधन करने के लिए आवश्यक हैं। ये ऐसे अस्पताल हैं जो लगभग जीवन भर में किसी व्यक्ति की स्वास्थ्य आवश्यकताओं का 80 प्रतिशत कवर करते हैं। । PHC का काम क्या है?Primary Health Care इक्विटी, स्वास्थ्य संवर्धन, सामुदायिक भागीदारी, बीमारी की रोकथाम, उपयुक्त स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी और चिकित्सा देखभाल के लिए बहुउद्देशीय दृष्टिकोण के लिए काम करती है। PHC के प्रभारी कौन हैं?चिकित्सा अधिकारी को Primary Health Care केंद्रों के संचालन और संचालन के लिए नियुक्त किया जाता है। इन चिकित्सा अधिकारियों के पास एमबीबीएस की डिग्री होनी चाहिए। PHC में ये चिकित्सा विशेषज्ञ अधिकारी प्रशासक के रूप में काम करते हैं। PHC क्यों महत्वपूर्ण है?Primary Health Care किसी भी क्षेत्र में विशेष रूप से भारत के ग्रामीण क्षेत्र में महत्वपूर्ण है। भारत की प्रमुख आबादी गांवों में रहती है लेकिन वे चिकित्सा सुविधाओं से अनजान हैं। जनता को सभी बुनियादी चिकित्सा और स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरतें प्रदान करने के लिए ये PHC महत्वपूर्ण हैं। व्यावहारिक, सामाजिक और वैज्ञानिक रूप से स्वीकार्य तरीकों और प्रौद्योगिकी पर आधारित इटिस। ये विधियां व्यक्तियों और परिवारों के लिए सार्वभौमिक रूप से सुलभ हैं। PHC के घटक क्या हैं?ये Primary Health Care के मुख्य तीन महत्वपूर्ण घटक हैं –
• PHC मल्टीसेक्टर पॉलिसी के माध्यम से स्वास्थ्य के व्यापक निर्धारकों को संबोधित करता है और उन पर सक्रिय रूप से काम
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What is the full form of RBC(आरबीसी) ? |
Answer» RBC(आरबीसी) का फुल फॉर्म या मतलब Red Blood Cells(रेड ब्लड सेल) होता है। यह एक प्रकार का ऐसा सेल होता है, जिसके बिना शरीर का कोई भी सेल काम नहीं कर सकता है। इसलिए यह हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। आप इसे हिंदी में लाल रक्त कोशिका के तौर पर भी जान सकते हैं। हमारे शरीर में जो रेड ब्लड सेल होता है, उसमें हिमोग्लोबिन और लोहा युक्त प्रोटीन शामिल होता है, और यह सबसे बड़ी वजह है जो हमारे खून को लाल बनाता है। रेड ब्लड सेल की सबसे महत्वपूर्ण ड्यूटी हमारे शरीर के रक्त को शरीर में घुमाने की होती है। ब्लड की एक बूंद में लाखों लाल रक्त कोशिकाएं मौजूद होती है,जो हमें भरपूर ऑक्सीजन देती है, और हमारे शरीर के कचरे को बाहर निकालती है।
अगर आपके शरीर में RBC- Red blood cell की कमी है, तो उसके लिए सबसे सही और उपयुक्त उपचार है कि आप हर रोज आयरन से भरपूर आहार का सेवन करें, जो आपके शरीर में रेड ब्लड सेल की मात्रा को बढ़ाएगा। आप इसके लिए सूखे किसमिस खा सकते हैं। अगर यह भी नहीं तो आप चाहे तो कोई सप्लीमेंट ले सकते हैं जो आपके अंदर रेड ब्लड सेल को बढ़ा सकता है। वहीं यह भी देखा जाता है कि हमारे शरीर में रेड ब्लड सेल की कमी के कारण हमें एनीमिया रोग हो सकता है, जो हमारे शरीर के में सांस लेने से जुड़ी बीमारियां उत्पन्न करती है। इसलिए यह जरूरी है कि इसका ख्याल रखा जाए। RBC(आरबीसी) का महत्वहमारे शरीर में रेड ब्लड सेल की काफी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है, जिसका सबसे मुख्य काम कार्बन डाइऑक्साइड के बदले में शरीर के ऊतकों में ऑक्सीजन का परिवहन करना है, जिसे फेफड़ों द्वारा किया जाता है। आपको यह जानकारी दे दे, कि हेमो साइटोप्लास्ट नामक एक तत्व है जिससे हमारे शरीर में रेड ब्लड सेल बनने में करीब 2 दिन का समय लगता है। जहां आपको यह जानकर काफी आश्चर्य होगा कि शरीर हर सेकंड लगभग 2 मिलियन तक लाल रक्त कोशिका को बनाता है। रक्त में 45% लाल रक्त कोशिका, 1% सफेद रक्त कोशिका और प्लेटलेट्स और 247894">55% प्लाज्मा होते हैं,जो कि मुख्य रूप से हमारे शरीर को सुचारू रूप से चलने में मदद करता है। RBC(आरबीसी) की सामान्य सीमाआपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि आपकी रेड ब्लड सेल की नार्मल रेंज क्या है, यह इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यही माध्यम है, जिससे आपके शरीर को ऑक्सिजन मिलता है। इतना ही नहीं यह कार्बोहाइड्रेट ले जाने में भी काफी सहायता करता है। यदि आपकी रेड ब्लड सेल की गणना बहुत कम है, तो फिर आप एनीमिया या कई अन्य स्थिति से परेशान हो सकते हैं, जो कि एक सही स्थिति नहि होती है। इससे यह पता चलता है कि आपके अंदर लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या सामान्य से कम है। आपको एक अहम जानकारी के तौर पर यह बता दे कि पुरुषों के लिए सामान्य सीमा 4.5 मिलीयन से 5.2 मिलियन कोशिका है। वहीं महिलाओं के लिए यह 4.1 मिलीयन से 5.1 मिलियन सेल होना अनिवार्य है। अगर RBC कम है तो इसका क्या मतलब है?RBC- Red blood cell की कमी के कारण आपको एनीमिया, थकान और कमजोरी की समस्या हो सकती है। जब किसी व्यक्ति की सामान्य से कम लाल रक्त गणना होती है, तो उनके शरीर को कोशिका को पर्याप्त ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे कई आहार और जीवनशैली में बदलाव हैं जिससे लोग शरीर को रेड ब्लड सेल की गिनती बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। हालांकि यदि लगातार यह लक्षण जारी रहता है, तो आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। आपको बता दें कि कोई भी नया रेड ब्लड सेल शरीर में औसतन 239715">115 दिनों तक प्रसारित होता है। इसके बाद वे यकृत में आ जाते हैं। यदि शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों की नियमित पूर्ति नहीं होती है तो तरह-तरह की बीमारियां हो सकती है। आरबीसी(RBC) कैसे बढ़ाएं?इसके लिए एकमात्र सबसे सही उपचार यह है कि आप कुछ मिनरल्स और मल्टी न्यूट्रेंस की सहायता ले। जहां आप इन निम्नलिखित चीजों के माध्यम से अपने शरीर की रेड ब्लड सेल की संख्या में बढ़ोतरी कर सकते हैं:- #1. अपने आहार में जितना हो सके कॉपर की मात्रा शामिल करें। आप चाहे तो इसके टैबलेट को का भी सेवन कर सकते हैं, यह आप की कोशिकाओं को आयरन के केमिकल फॉर्म को एक्सेस करने में मदद करता है जो कि आवश्यक है। #2. आपको यह अवश्य सुनिश्चित करना होगा कि आप को कितनी मात्रा में फोलिक एसिड मिल रहा है। यह विटामिन B9 के रूप में भी जाना जाता है जो कि साधारण रूप से रेड ब्लड सेल के उत्पादों में हमारी मदद करता है। #3. विटामिन ए के तौर पर आप चाहे तो शकरकंद, गाजर और गहरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन कर सकते हैं। आपको बता दें कि यह सुनिश्चित करता है कि लाल कोशिकाओं के लिए पर्याप्त आहार की कितनी आवश्यकता हमारे शरीर को है। #4. व्यायाम करना हर किसी के लिए अच्छा माना जाता है। यह आपको कुछ रोग और बीमारियों से बचने के लिए भी तैयार करता है। जब आप जोरदार व्यायाम करते हैं तो लाल रक्त कोशिका ऑक्सीजन का ज्यादा से ज्यादा निर्माण करती है। #5. आपने यदि कोई बुरी आदत है तो आपको इसे छोड़ना होगा जैसे कि आपको धूम्रपान और शराब से बेहद परहेज करना होगा, क्योंकि अत्यधिक शराब का सेवन करने से ऑक्सीजन के अभाव के कारण रक्त काफी गाढा हो जाता है।
कुछ अन्य आरबीसी(RBC) के महत्वपूर्ण फुल फॉर्मआरबीसी (RBC)- रॉयल बैंक ऑफ़ कनाडा यह कनाडा का सबसे महत्वपूर्ण और फेमस बैंक है। आरबीसी (RBC)- रिस्क बेस्ड कैपिटल
तो दोस्तों मुझे उम्मीद है कि इस आर्टिकल में आपको आरबीसी फुल फॉर्म के बारे में पूरी जानकारी मिल पाया।
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What is the full form of WBC ? |
Answer» White Blood Cell |
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What is the full form of RNA(आरएनए) ? |
Answer» RNA(आरएनए) का फुल फॉर्म या मतलब Ribonucleic acid(राइबोन्यूक्लिक एसिड) होता है RNA एक प्रकार का न्यूक्लिक एसिड होता है, जो सीधे प्रोटीन संश्लेषण में शामिल होता है। यह बात शायद ही आपको पता होगी कि डीएनए से ही आरएनए का संश्लेषण होता है। इस प्रक्रिया में डीएनए के एक हिस्से पड़ RNA- (Ribonucleic acid) की आकार को जोड़े जाते हैं। यह एक प्रमुख जैविक अणु में से एक माना जाता है, जो जीवन के सभी ज्ञात रूपों के लिए आवश्यक होता है। आरएनए में मुख्य रूप से चीनी रिबोस, फास्फेट और नाइट्रोजेनस बेस एडनिन शामिल होते हैं। RNA- (Ribonucleic acid) को लेकर कई रोचक तथ्य सामने आए हैं। आपको बता दें कि RNA- (Ribonucleic acid) हमारे शरीर मे कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जैसे डिकोडिंग, प्रतिरोधक और जीन की अभिव्यक्ति….. आप यह कह सकते हैं कि राइबो न्यूक्लिक एसिड सभी जीवित कोशिकाओं में मौजूद न्यूक्लिक एसिड की लंबी श्रृंखला के साथ एक महत्वपूर्ण न्यूक्लियोटाइड है, जो हमारे शरीर में काफी तरह से मुख्य भूमिका का स्रोत है। आरएनए(RNA) की संरचना- RNA न्यूक्लियोटाइड से जुड़ा होता है, जो एक अनु के फास्फेट और इसके अनु के चीनी के बीच मौजूद होता है। यह एक जटिल तीन आसान स्ट्रक्चर होता है, जिसे हम हेयर पिन लूप कहते हैं। RNA का निम्न तीन स्ट्रक्चर हो सकता है – #1. एक नाइट्रोजेनस बेस यह एडेनिन(ए), ग्वानिन(जी), साइटोसिन(सी),या यूरैसिल(यू) हो सकता है। #36987">2. एक पांच कार्बन चीनी होता है। यह राइबोस है #3. एक फास्फेट समूह है। यह एक रिबोज की तीन स्थिति और अगले रिबोज की पांच स्थिति से जुड़ा होता है। आरएनए (RNA) के कार्यRNA- (Ribonucleic acid) का निर्माण कोशिकाओं के द्वारा किया जाता है। सेल के अंदर प्रोटीन के कई कार्य होते हैं, जिसमें सेलुलर संरचनाएं बनाना और सेलुलर रासायनिक प्रतिक्रियाओं के लिए इंजाईम के रूप में शामिल है। मुख्य रूप से देखा जाए तो आरएनए- डीएनए के संदेश का आवाहन करता है, जो एक कोशिका में सभी कुछ किए गतिविधियों को पूरी तरह से नियंत्रित करता है। देखा जाए तो यह उचित तरीके से राइबोसोम पर r.n.a. को व्यवस्थित करने में मदद करता है। ताकि कोडिंग आसानी से पहचाना जा सके। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि आर एन ए का मुख्य कार्य जीन से अमीनो एसिड अनुक्रम की जानकारी को ले जाना है। जहां साइटोप्लाज्म में राइबोसोम पर प्रोटीन इकट्ठे होते हैं यह मैसेंजर आरएनए द्वारा किया जाता है। डीएनए का एक अकेला किनारा जो डीएनए से स्थानांतरित होता है। डीएनए और आरएनए के बीच अंतरदेखा जाए तो RNA- (Ribonucleic acid) पूर्ण रूप से डीएनए के समान होता है लेकिन कुछ ऐसे महत्वपूर्ण संरचनात्मक विवरणों में भिन्न होता है। जहां RNA- (Ribonucleic acid) न्यूक्लियोटाइड में राइबोसोम चीनी पाई जाती है। जबकि डीएनए में डीऑक्सीराइबो जो एक प्रकार का राईबोज होता है, जिसमें एक ऑक्सीजन परमाणु का अभाव होता है।
इसके अलावा एक और सबसे खास अंतर जो है कि RNA- (Ribonucleic acid) आम तौर पर एकल और असहाय होते हैं जबकि डीएनए आमतौर पर डबल और सहाय होते हैं। आपके लिए RNA– (Ribonucleic acid) बेहद जरूरी है कि डीएनए के विपरीत आ रहे हैं, अधिकांश जीवो की जीव संबंधी सामग्री नहीं है। RNA- (Ribonucleic acid) केवल कुछ ही पौधे, जानवरों और बैक्टीरिया के वायरस की जीव संबंधित सामग्री है। ऐसे RNA- (Ribonucleic acid) को जीन संबंधी RNA कहा जाता है। आरएनए प्रोटीन में चीनी के अनुवाद के लिए टेंपलेट के रूप में कार्य करता है। प्रोटीन बढ़ने के लिए राइबोसोम में अमीनो एसिड को स्थानांतरित करता है। डीएनए की बात की जाए तो इसमें हाइड्रोजन बंद पाया जाता है जबकि आर एन ए में हाइड्रोजन बंद नहीं होता है।
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